इन गांवों पर सीधा प्रभाव
– जिनावली, निरावली, मिलावली सहित आसपास के 500 मीटर के क्षेत्र पर फैक्ट्री से निकलने वाले अपशिष्ट के कारण क्षेत्र के कई हैंडपपों का पानी पीने लायक नहीं रह गया है।
– 2011 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार फैक्ट्री से निकलने वाले अनाज अपशिष्ट (भूसी) को प्रबंधन द्वारा नष्ट करने की बजाय दूसरे प्रदेशों के पशु व्यवसाइयों को बेच दिया जाता है। जिसकी वजह दुष्परिणाम जानवरों के बांझपन के रूप में सामने आ रहे हैं।
– क्षेत्रीय ग्रामीणों ने फैक्ट्री के कारण हो रहे नुकसान की शिकायत दर्जनों बार कलेक्टर से की है। दो महीने पहले भी इसकी शिकायत की गई थी। शिकायत में ग्रामीणों ने उल्लेख किया था कि फैक्ट्री के आसपास के हैंडपंप खराब पानी दे रहे हैं।
इन खसरों पर दी अनुमति
ग्रााम जिनावली के सर्वे नंबर 232 से 236, 153 से 157,181,192/2 और मिलावली के सर्वे नंबर 3,4,5 तथा निरावली के सर्वे नंबर 1049,1050 के अंतर्गत 26.59 हैक्टेयर जमीन है। इस जमीन के सर्वे नंबर्स का उपयोग अलग-अलग काम के लिए दर्ज है। इसके बावजूद जमीन पर ग्वालियर एल्कोब्रो कंपनी से 14 लाख 4 हजार 741 रुपए जमा करवाकर 10 जून 2016 को भवन बनाने की अनुमति दे दी गई। इस मामले की जांच का जिम्मा अब पुलिस के पास है।
यह कहते हैं अधिकारी
ग्वालियर एल्कोब्रो की स्थापना 1983 में हुई थी। कंपनी प्रबंधन के पास कलेक्टर डायवर्सन,टीएंडसीपी, ग्राम पंचायत की एनओसी थी। साडा की स्थापना 1992 में हुई और 2001 में मास्टर प्लान बना था। इस प्लान के डिटेल पैनल में लैंडयूज औद्यौगिक है। फैक्ट्री को परमिशन देने से पहले नियमानुसार फीस जमा कराई गई है। इसके पहले 2007 में भी फैक्ट्री प्रबंधन ने परमिशन लेने के लिए मौखिक जानकारी ली थी, लेकिन न तो फीस जमा कराई गई और न परमिशन के लिए आवेदन लिया था। वर्तमान में फैक्ट्री के पास पर्यावरण, आबकारी, टीएंडसीपी सहित अन्य अनुमतियां हैं, जिनके आधार पर परमिशन जारी की गई है।