हरगोविन्दपुरम में रहने वाले महेन्द्र आसीजा और ऊषा आसीजा ने भूखण्ड क्रमांक 452 पर आवासीय निर्माण के लिए नगर निगम से अनुमति ली थी, लेकिन उन्होंने आवासीय निर्माण न कराकर स्वीकृति में दिए गए खुले भाग एमओएस पर भव्य होटल का निर्माण करा दिया।
वर्ष 2017 से आसीजा द्वारा स्वीकृति के विपरीत किए गए निर्माण की शिकायतें होने पर नगर निगम ने कार्रवाई की, जिसमें अधिकारियों ने माना कि एमओएस पर निर्माण कराया गया और पृथक भूखण्ड 451 और 453 को जोडक़र अवैध भवन निर्माण कराया। इसको लेकर समय-समय पर नोटिस दिए जाते रहे, लेकिन भवन स्वामी ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया, न ही काम बंद किया। इसके बाद एक मई 2017 और 17 अप्रैल 2018 को आयुक्त द्वारा छह घंटे में इस स्थल पर हुए अवैध निर्माण को गिराकर अवगत कराने के आदेश दिए थे, लेकिन आयुक्त के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
बताया जाता है कि भवन स्वामी महेन्द्र सिंह आसीजा के नाम पर नगर निगम के विद्युत विभाग के सहायक यंत्री देवी सिंह राठौर ने अधिकार न होने के बाद भी ट्रांसफार्मर लगाने और उसे शिफ्ट करने की अनुमति दे दी। राठौर ने अपने आदेश में परमिशन का स्थान हरगोविन्दपुरम की जगह विवेकानंद कॉलोनी कर दिया। उक्त आदेश में महेन्द्र आसीजा के विवेकानंद कॉलोनी थाटीपुर पर मकान के गेट पर ट्रांसफार्मर लगा है, जिसे शिफ्ट कर मकान के कॉर्नर पर लगाने की एनओसी दे दी। मजेदार बात यह है कि मकान हरगोविन्दपुरम में बना है और इस कॉलोनी से और आसीजा के प्लॉट से सटी विवेकानंद कॉलोनी स्थित निगम की भूमि पर ट्रांसफार्मर शिफ्ट भी हो गया।
निगम के एक अधिकारी के अनुसार जिस कॉलोनी या स्थान पर भवन बनाने की अनुमति है, उसी भवन मालिक की जगह पर ट्रांसफार्मर शिफ्ट किया जा सकता है। नगर निगम या सरकारी भूमि पर ट्रांसफार्मर शिफ्ट कराने के लिए वरिष्ठ अधिकारी या संस्था से अनुमति लेनी होगी। उनका कहना था कि राठौर को निगम की भूमि पर ट्रांसफार्मर शिफ्ट कराने के लिए नगर निगम परिषद में प्रस्ताव भेजना था, उसकी स्वीकृति के बिना किसी को निगम की भूमि किसी भी उपयोग के लिए नहीं दी जा सकती है।
इस संबंध में सहायक यंत्री देवी सिंह राठौर से आरटीआइ कार्यकर्ता अनूप यादव ने अवैध तरीके से होटल को लेकर मोबाइल पर चर्चा की तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह मेरा भाई है, हां उसमें शेयर भी हैं, समझो। इस संबंध में जब पत्रिका ने सहायक यंत्री राठौर से बातचीत की और कहा कि इस मामले की रेकॉर्डिंग है, तो उनका कहना था कि महेन्द्र आसीजा मेरा पड़ोसी है, मैंने तो ट्रांसफार्मर शिफ्ट करने की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि अनूप यादव से मोबाइल पर चर्चा हुई थी मैंने गुस्से में कह दिया कि हां मेरा भाई है, और शेयर भी है समझो। यह बात सही है वह मेरा पड़ोसी है। अनूप ने आपत्ति कर इस मामले में जांच कराने के लिए कोई पत्र भेजा है, उसमें ऊपर से कार्रवाई के लिए पत्र आया है, उसमें तो मुझे कोई न कोई कार्रवाई करनी ही पड़ेगी।
आरटीआइ कार्यकर्ता अनूप सिंह यादव ने इस भवन निर्माण में हुई आर्थिक व प्रशासनिक अनियमितता की जानकारी के लिए नगर निगम में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन दिया था, जिसमें मिली जानकारी से स्पष्ट हुआ कि इसे आवासीय निर्माण की अनुमति मिली थी और भवन मालिक ने आवासीय निर्माण न कराकर दूसरे प्लॉट की भूमि पर होटल का निर्माण करा लिया। अनूप का कहना था कि उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर नगरीय प्रशासन विभाग को की है, इसकी जांच कराई जाए और दोषी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।