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जब इस महिला ने 20 लोगों को एक लाइन में खड़ा कर गोलियों से कर दिया था छलनी, कई बार हुआ था रेप

locationग्वालियरPublished: Jan 06, 2020 05:45:49 pm

Submitted by:

monu sahu

ग्वालियर चंबल के बीहड़ों में आज भी सुनाए जाते हैं डकैत से सांसद बनी फूलन देवी के किस्से

phoolan devi killed 20 people in india

जब इस महिला ने 20 लोगों को एक लाइन में खड़ा कराकर गोलियों से कर दिया था छलनी, कई बार हुआ था रेप

ग्वालियर। कम उम्र में शादी,फिर गैंगरेप और फिर इंदिरा गांधी के कहने पर सरेंडर। इस दस्यु सुंदरी के डकैत बनने की पूरी कहानी किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती है। आज हम आपको फूलन देवी के बंदूक थामने के पीछे की कहानी बता रहे हैं। जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे।10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव गोरहा में जन्मी एक महिला शुरू से ही जातिगत भेदभाव का शिकार रही। फिर एक दिन उसकी ११ साल की उम्र में एक बड़ा बदलाव आया और उसे गांव से बाहर भेजने के लिए उसके चाचा मायादीन ने फूलन की शादी एक बूढ़े आदमी पुट्टी लाल से करवा दी।
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फूलन देवी इस उम्र में शादी के लिए तैयार नहीं थी। शादी के तुरंत बाद ही फूलन देवी लगातार दुराचार का शिकार हो गई। जिसके बाद वो वापस अपने घर भागकर आ गई। घर आकर फूलन देवी अपने पिता के साथ मजदूरी में हांथ बंटाने लगी। लेकिन फिर भी लोग उसे परेशान करने लगे। तभी 15 साल की उम्र में फूलन देवी के साथ एक बड़ा हादसा हो गया, जब गांव के ठाकुरों ने उनके साथ गैंगरेप किया। इस घटना को लेकर फूलन न्याय के लिए भटकती रही पर कहीं से उसे न्याय न मिलने पर फूलन ने बंदूक उठाने का फैसला किया। फूलन देवी के साथ ये हादसा यही ख़त्म नहीं हुआ,इंसाफ के लिए दर-दर भटकती इस महिला के गांव में कुछ डकैतों ने हमला किया। इसके बाद डकैत फूलन को उठाकर ले गए और कई बार रेप किया।
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एक लाइन में खड़ा कराकर गोलियों से कर दिया छलनी
यहीं से फूलन की जिंदगी में एक बदलाव आया और फूलन की मुलाकात विक्रम मल्लाह से हुई,जिसके बाद दोनों ने मिलकर डाकूओं का अलग गैंग बनाया। फूलन के दिल में अपने साथ हुए दुराचार की टीस अभी भी बाकी थी,लिहाजा उसने अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने की ठान ली और 1981 में 2० सवर्ण जाति के लोगों को एक लाइन में खड़ा कराकर गोलियों से छलनी कर दिया। इसके बाद पूरे चंबल में फूलन देवी का खौफ पसर गया। सरकार ने फूलन को पकडऩे का आदेश दिया लेकिन यूपी और मध्य प्रदेश की पुलिस फूलनदेवी को पकडऩे में नाकाम रही। हालांकि बाद में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से 1983 में फूलन देवी से सरेंडर करने को कहा गया,जिसे फूलन ने मान लिया।
सरकार ने मानी शर्त
हालांकि आत्मसमर्पण करना फूलन की मजबूरी भी बन चुकी थी क्योंकि फूलन का साथी विक्रम मल्लाह पुलिस की मुठभेड़ में मारा जा चुका था और गैंग भी अब मजबूत स्थिति में नहीं था। हालांकि फूलन ने यूं ही सरेंडर नहीं किया उसने सरकार से अपनी शर्तें मनवाई, जिनमें पहली शर्त उसे या उसके सभी साथियों को मृत्युदंड नहीं देने की थी। फूलन की अगली शर्त ये थी कि उसके गैंग के सभी लोगों को 8 साल से अधिक की सजा न दी जाए। इन शर्तों को सरकार ने मान लिया था। पर फूलन देवी को 11 साल तक बिना मुकदमे के जेल में रहना पड़ा।
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फूलनदेवी बनी सांसद
1994 में आई समाजवादी सरकार ने फूलन को जेल से रिहा किया और इसके दो साल बाद ही फूलन को समाजवादी पार्टी से चुनाव लडऩे का ऑफर मिला और वो मिर्जापुर सीट से जीतकर सांसद बनी और दिल्ली पहुंच गई। इसके बाद साल 2001 फूलन की जिंदगी का आखिरी साल रहा। इसी साल खुद को राजपूत गौरव के लिए लडऩे वाला योद्धा बताने वाले शेर सिंह राणा ने दिल्ली में फूलन देवी के आवास पर उनकी हत्या कर दी। हत्या के बाद राणा का दावा था कि ये 1981 में सवर्णों की हत्या का बदला है। इस हत्या को कई तरह से देखा जाता है,कभी इसमें राजनीतिक साजिश की बू नजर आती है तो कभी उसके पति उम्मेद सिंह पर भी फूलन की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगता है। फूलन देवी पर फिल्म बैंडिट क्वीन भी बन चुकी है। जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था। इस फिल्म पर फूलन को आपत्ति थी। जिसके बाद कई कट्स के बाद फिल्म रिलीज हुई। लेकिन बाद में सरकार ने इस फिल्म पर बैन लगा दिया था।
चंबल के बीहड़ों में सुनाए जाते हैं किस्से
बताया जाता है कि देश में दस्यु सुंदरी फूलन देवी को मौत को अब १७ साल बीत चुके हैं,लेकिन डकैत से सांसद बनी फूलन देवी के किस्से आज भी चंबल के बीहड़ों सुने और सुनाए जाते हैं। एक मासूम लडक़ी के दस्यु सुंदरी बनने तक की इस कहानी के कई पहलू हैं। कोई फूलन के प्रति सहानुभूति रखता है तो कहीं उसे खूंखार डकैत मानता है। 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी की उसके ही घर के बाहर गोली से मारकर हत्या कर दी गई थी। किसी ज़माने में दहशत का दूसरा नाम रही फूलन की जिंदगी में कई ऐसे पड़ाव आए जिन्हें जानकर हर कोई हैरान रह गया।
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