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20 साल पहले लगी थी महाराज बाड़े पर पार्किंग के लिए याचिका, अब रास्ता हुआ साफ

locationग्वालियरPublished: Jan 17, 2019 01:16:53 am

Submitted by:

Rahul rai

आरक्षण की बाध्यता खत्म होने से अफसरों ने गांधी मार्केट के प्रोजेक्ट को नए सिरे से तैयार करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। अब यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के तहत तैयार किया जाएगा

maharaj bada

20 साल पहले लगी थी महाराज बाड़े पर पार्किंग के लिए याचिका, अब रास्ता हुआ साफ

ग्वालियर। महाराज बाड़े पर स्थित गांधी मार्केट की जगह पर पार्किंग और शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाने का रास्ता साफ हो गया है। करीब 20 वर्ष से कोर्ट और सरकारी विभागों के बीच अटकी इस योजना को शासन से मंजूरी मिल गई है। शासन ने दुकानों में आरक्षण की बाध्यता भी खत्म कर दी है। अब पीपीपी मॉडल के तहत आने वाली फर्म बिना आरक्षण के दुकानों को 30 साल के लीजरेंट पर देकर निर्माण की लागत वसूल कर सकेगी। आरक्षण की बाध्यता खत्म होने से अफसरों ने गांधी मार्केट के प्रोजेक्ट को नए सिरे से तैयार करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। अब यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के तहत तैयार किया जाएगा।
20 साल ऐसे चला कोर्ट में मामला
-1999 में हाईकोर्ट में महाराज बाड़े पर ट्रैफिक जाम और वाहनों की पार्किंग की समस्या के निराकरण के लिए याचिका दायर की गई थी, जिस पर फैसला 2008 में आया, जिसमें गांधी मार्केट की जगह पर पार्किंग कम शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाने का प्रस्ताव निगम ने तैयार किया, इसके खिलाफ दुकानदार सुप्रीम कोर्ट चले गए।
-2011 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को ही मान्य किया, जिसमें दुकानदारों को 18 माह में दुकान बनाकर देने और दुकानदारों से प्रति दुकान के लिए 1 लाख रुपए जमा कराए जाने के निगम के प्लान को स्वीकृत किया गया।
-2012 में शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाने के लिए निगम ने पीपीपी मॉडल के तहत टेंडर जारी किए, जिसमें बिडर्स द्वारा दुकानों की बिक्री में आरक्षित कोटा लगे होने से बोली नहीं डाली गई।
-2014 में निगम ने दुकानों को आरक्षण से मुक्त करने के लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा।
-2019 में दूसरी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने शासन से आरक्षित कोटे की दुकानों पर जवाब मांगा, जिस पर 6 फरवरी को पुन: सुनवाई की जानी है। इस बीच शासन ने 14 जनवरी को प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश नगर पालिका निगम 2016 के तहत पीपीपी मॉडल में निर्मित भवन/दुकान के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं हैं, इसका हवाला दिया।
तीन मंजिला पार्किंग
-जमीन के अंदर मॉल की तर्ज पर करीब तीन मंजिला पार्किंग का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 300 से 400 चार पहिया वाहन, 200 दो पहिया वाहन पार्क हो सकेंगे।

फैक्ट फाइल
योजना- पीपीपी मॉडल के तहत 30 साल के अनुबंध पर होना था काम।
लागत– करीब 80 करोड़ की बनी थी योजना।
पार्किंग- 3 मंजिला बेसमेंट में होनी थी पार्किंग।
दुकानें- वर्तमान दुकानदारों को ग्राउंड फ्लोर पर 252 दुकानें बनाकर देनी होंगी।
अंश- प्रत्येक वर्तमान दुकानदार निगम को देगा एक लाख रुपए (2.52 करोड़ का अंश)
तीन मंजिला मॉल- ग्राउंड फ्लोर के ऊपर तीन मंजिल तक दुकानें, होटल आदि बना सकेगी फर्म।
हो सकते हैं बदलाव
इस योजना के तहत कॉम्पलेक्स या मॉल का डिजायन बनाकर उसे बनाने वाली फर्म लोगों को 30 या 50 साल के लीजरेंट पर दुकानें बेच सकेगी, इस अवधि में पार्किंग का संचालन भी करेगी। उसके बाद मॉल/कॉम्पलेक्स निगम को ट्रांसफर हो जाएगा। इस प्रकार की योजना निगम ने तैयार की थी, लेकिन अब स्मार्ट सिटी के तहत योजना तैयार की जाएगी, इसमें बदलाव हो सकते हैं।
खत्म होगी पार्किंग समस्या
-शासन ने इस प्रोजेक्ट में दुकानों के लिए आरक्षण की बाध्यता को खत्म कर दिया है। अब निजी बिडर टेंडर प्रक्रिया में भाग लेकर अपना पैसा लगा सकेंगे, जिससे महाराज बाड़े पर वाहनों की पार्किंग की समस्या का निदान हो सकेगा।
विनोद शर्मा, आयुक्त नगर निगम
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