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किसानों ने इस बार खरीफ फसल के मौसम में 83 हजार हेक्टेयर में उड़द बोया था। इसके अलावा तिल व मूंग की फसल भी बोई गई थी। जिले में ज्यादा बारिश होने से तिल, उड़द, मूंग में भारी नुकसान हुआ है, लेकिन किसानों में उम्मीद जागी थी कि जिनके पास धान की फसल है उन्हें धान की पैदावार से फायदा होगा, लेकिन किसानों की वो उम्मीद भी टूटने लगी है कि अगर यह फसल भी बीमार हो गई तो वे क्या करेंगे। कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस बार पिछले साल की तुलना में दो गुना से ज्यादा रकबे में धान बोई गई है।
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इन रोगों से बढ़ी किसानों की चिंताइन दिनों धान की फसल में बालियां निकल चुकी हैं। तो कई खेतों में फसल पकने लगी है, लेकिन हर किसान के खेतों में पांच से दस फीसदी फसल में गर्दन तोड़, बगली व फॉल्स सिलट जैसे रोग फैल रहे हैं जो कम पैदावार के लिए जिम्मेदार तो हैं ही। रोगों पर नियंत्रण न हो पाने के कारण यह रोग पूरी फसल में फैल जाएगा और किसानों की मेहनत व लागत पर पानी फिर जाएगा।
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वैज्ञानिकों के पास भी पहुंचने लगे किसानकृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह का कहना है कि धान में बगली व गर्दन तोड़ रोग फैल रहे हैं। परेशान किसान केवीके भी पहुंच रहे हैं। डॉ. सिंह की किसानों को सलाह है कि वे इन रोगों के बारे में वैज्ञानिकों व कृषि विभाग के अधिकारियों से सलाह लें।किसान पप्पू ने बताया कि धान की फसल में पता नहीं कौन सा रोग है।
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कुछ पौधे सूखने लगे हैं। यहां जांच करने कोई अधिकारी नहीं आ रहा है। कैसे पता चले कि कौन सा रोग है।कपिल तिवारी ने बताया कि धान की फसल में कई तरह के रोग फैल रहे हैं। कीड़े लग रहे हैं तो क हीं पौधे सूख रहे हैं। कौन सी दवा डालनी है पता नहीं चल पा रहा है।उप संचालक कृषि आरएन शर्मा ने बताया कि धान की फसल में रोग फैलने की जानकारी मिली है। हमारी टीमें गांवों में जाकर देखेंगी कि फसलों में कौन व कितने फीसदी में रोग है। इसके बाद अगला कदम उठाया जाएगा।