निजी स्कूलों की इन अनफिट बसों के कभी इंजन में खराबी आती है, तो कभी गियर बॉक्स में समस्या हो जाती है। दरअसल इन बसों को पहले दूसरे रूटों पर चलाया गया है, अब यह स्कूली बच्चों को ले जा रही हैं। कुछ बसें 15 साल पुरानी हैं, फिर भी स्कूल संचालकों द्वारा इन्हें दौड़ाया जा रहा है।
यह बसें कई बार खराब हुई हैं, जिसका खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ा है। बीते दिनों परिवहन विभाग की टीम ने अलग-अलग स्कूलों की बसों का निरीक्षण किया। इस दौरान दस साल से अधिक पुरानी बसें 70 फीसदी पाई गईं। जांच दल के सदस्यों का कहना है कि जिन बसों का जीवन काल दस साल से अधिक हो गया है, उनमें आए दिन तकनीकी खराबी आ रही हैं।
ऐसी बसें सबसे ज्यादा प्रदूषण छोड़ रही हैं। मासूमों की सेहत हो रही खराबज्यादा धुआं छोडऩे की वजह से बस में सवार मामूस छात्रों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। इन छात्रों को फेंफड़े, हृदय व एलर्जी संबंधी समस्या आ रही है। प्रदूषण जांच दल ने जब 2002 के मॉडल की बसों की जांच की तो उनमें अधिकांश बसें धुएं में कार्बन के कण ज्यादा छोड़ते हुए पाई गईं।
पहले मार्च तक दिया गया समय
बीते साल परिवहन विभाग की टीम ने एेसी बसों को बड़ी संख्या में पकड़ा था, जिनकी उम्र 15 साल से अधिक हो गई थी। परिवहन विभाग की टीम की कार्रवाई पर स्कूल संचालकों द्वारा समय मांगा गया था। इस दौरान परिवहन विभाग की टीम ने सत्र पूरा किए जाने तक (मार्च 2018) तक बसें संचालित किए जाने का समय दिया गया था। जून महीने से नया सत्र शुरू हुआ। जुलाई में जब परिवहन विभाग की टीम ने चेकिंग की तो ऐसी बसें भी सामने आ रही हैं, जिनकी लाइफ लाइन खत्म हो गई और वह सड़क पर दौड़ रही हैं।
फैक्ट फाइल
परिवहन विभाग ने इन बसों में पाईं खामियां
बस का रजिस्ट्रशेन नंबर—- रजिस्ट्रेशन सन्
एमपी04 के 8666————–अप्रैल 2005
एमपी07 एफ1044————–2002
एमपी06 बी 1758————– मार्च 2002
एमपी07एफ 0851————–मई 2005
एमपी 07 एफ 1777———— अप्रैल 2005
एमपी 07 एफ1149————–मई 2004
एमपी 06 बी 1685————– मार्च 2002
एमपी 07 एफ 1292————-जुलाई 2005
एमपी 33 एफ 0109———— फरवरी 2004
एमपी 06 एफ 1024————फरवरी 2007
एमपी 06 बी 1758————–मार्च 2002
एमपी 06 बी 1767 ————-जनवरी 2002
एमपी 40 एफ 0132————मार्च 2006
शहर में पंद्रह साल से अधिक पुरानी स्कूल बसें संचालित होती पाई जाती हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। दस साल के बाद बसों में मेंटेनेंस की ज्यादा जरूरत होती है, इसलिए बसों की चेकिंग के दौरान ऐसी बसों पर फोकस किया जाता है।
एसपीएस चौहान, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी
अब तक की चेकिंग के दौरान यह बात सामने आई है कि दस साल या इसे अधिक पुराने मॉडल की बसें प्रदूषण फैलाती हैं। बच्चों के फेंफड़े विकसित नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें बीमारी का खतरा बना रहता है। स्कूल की बसें नए मॉडल की एवं अच्छी स्थिति में होना चाहिए।
सुधीर सप्रा, अध्यक्ष, पैरेंट्स एसोसिएशन