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घुसपैठिए की सेवा में 24/7 लगी ग्वालियर पुलिस, बांग्लादेश से भारत में घुसा

locationग्वालियरPublished: May 31, 2018 03:24:24 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

घुसपैठिए की सेवा में 24/7 लगी ग्वालियर पुलिस, बांग्लादेश से भारत में घुसा

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घुसपैठिए की सेवा में 24/7 लगी ग्वालियर पुलिस, बांग्लादेश से भारत में घुसा

पुनीत श्रीवास्तव @ ग्वालियर

करीब ४ साल पहले शक के आधार पर स्टेशन बजरिया से पकड़ा गया घुसपैठिया अहमद अलमक्की 8 महीने से ग्वालियर पुलिस की मेहमाननवाजी का लुत्फ उठा रहा है। पड़ाव थाने में उसे न केवल बढिय़ा कमरा, बिस्तर और कूलर दिया गया है बल्कि वह निजी लैपटॉप और मोबाइल भी बखूबी इस्तेमाल कर रहा है। इतना ही नहीं, पुलिस वाले उसे गाहे-बगाहे सैर भी करवाते हैं। ८ महीने पहले कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद से अलमक्की ने पुलिस और खुफिया विभाग को बातों में उलझाकर रखा है। कोर्ट ने उसे उसके देश वापस भेजने के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक पुलिस उससे उसके घर का पता नहीं उगलवा सकी है। पिछले करीब ५८ महीने से उसकी कुंडली खंगाल रहे खुफिया विभाग के अधिकारी पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि विदेश मंत्रालय को इस संबंध में सभी जानकारी दी जा रही हैं, लेकिन घुसपैठिए का पता कन्फर्म नहीं हुआ है। ऐसे में उसे कहां भेज दें? हालांकि वे भी यह मानते हैं घुसपैठिए के इरादे संदिग्ध हो सकते हैं।

 

इबादत के नाम पर अकेले में बातचीत
पत्रिका ने अलमक्की के शहर में मूवमेंट पर नजर रखी तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। पड़ाव थाने में उसने कुछ पुलिसकर्मियों की हमदर्दी हासिल कर रखी है। उसने इनके जरिए थाने से बाहर निकलना शुरू किया। इबादत के नाम पर पहले फूलबाग स्थित धार्मिक स्थल तक आता रहा। फिर वह थाने से काफी दूर एजी आफिस के पीछे स्थित धार्मिक स्थल पर जाने लगा। इबादत के समय से करीब डेढ़ घंटे पहले वह थाना परिसर से पुलिसकर्मी की बाइक पर रवाना होता है। आरक्षक बाहर ही रहता है और अलमक्की वहां भीड़ के आने तक कुछ चुनिंदा लोगों के साथ अकेला रहता है। सूत्रों के अनुसार उसके कुछ हिमायती यहीं उसे पैसा मुहैया कराते हैं।

 

गंभीर सवाल, कठघरे में पुलिस, इंटेलीजेंस
1. अलमक्की पहले सऊदी अरब और बांग्लादेश के ठिकाने बता चुका है। उनकी तस्दीक क्यों नहीं की गई? पते झूठे हैं तो मकसद क्यों नहीं खंगाला जा रहा?
2. उसने दलाल यासीन के जरिए भारत में घुसपैठ करने की बात कही थी। उस दलाल की तलाश क्यों नहीं की गई? उसके जरिए अलमक्की का सच सामने आता।
3. वह भारत में घुसने के बाद आगरा , दिल्ली, अलीगढ़ , चेन्नई होकर ग्वालियर आया था। दो दिन फूलबाग स्थित धार्मिक स्थल में रहा। अब वहां से दूरी क्यों?
4. वह लैपटॉप का क्या इस्तेमाल कर रहा है? इंटरनेट कनेक्शन कैसे मिला? उसे मोबाइल सिम किस दस्तावेज से मिली? उसका लैपटॉप और मोबाइल निगरानी में हैं?
5. वह फोन पर किन लोगों से और कहां संपर्क करता है?
6. अलमक्की की चुप्पी का मकसद क्या है? वह अपने वतन क्यों नहीं लौटना चाह रहा?
7. क्या उसे इतने लंबे समय तक यूं यहां रखना देश की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक नहीं है?


क्या बला है अलमक्की
अलमक्की को 21 सितंबर 2014 की रात स्टेशन बजरिया चौकी के पास एसटीडी-पीसीओ से बांग्लादेश बात करने और संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर सिम खरीदने की कोशिश में पकड़ा गया था। उसके पास से मोबाइल, टैबलेट, हार्ड डिस्क, सिम, बांग्लादेश से 2005 में जारी पासपोर्ट की कॉपी सहित सऊदी अरब का आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस मिला था। पुलिस ने उस पर अपराध क्रमांक ४९६/१४ के तहत विदेशी अधिनियम धारा ३, ४, ५ पासपोर्ट अधिनियम १९२० के तहत और विवेचना में जेहादी पाए जाने पर अपराध क्रमांक ५२३/१ धारा १५३ क, २९५ के तहत केस दर्ज किया था। अदालत में खुफिया एजेंसियां और पुलिस उसके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं रख सकीं तो उसे सितंबर २०१७ में रिहा किया गया। अदालत ने उसे उसके वतन वापस भेजने के आदेश दिए।

तब यह किया था खुलासा
पकड़े जाने पर अलमक्की ने खुलासा किया था वह मक्का साऊदी अरब का रहने वाला अहमद सिद्दकी है। उसके पिता अबू बकर सिद्दकी की मौत हो चुकी है। उसका मूल पता ढाका बांग्लादेश है। उसने आलिम, हाफिज की पढ़ाई की है। अरबी, उर्दु के अलावा हिंदी बोलना जानता है। घर में उसके अलावा भाई ताहिर, जाकिर, अब्दुला,मोहम्मद के अलावा बहन अहलम है। उसकी शुरुआती पढ़ाई मक्का में हुई है, वहीं से उसने हाफिज का कोर्स किया है। वहीं इमाम का काम करता था, फिर बांग्लादेश आ गया वहां कमीशन एजेंट बनकर हज यात्रियों को मक्का भेजता था। साऊदी अरब में गाड़ी चोरी के केस में एक साल की सजा सुनाई थी। जेल से छूटने पर बांग्लादेश आ गया। वहां से दलाल के जरिए भारत में घुसा।

 

पुलिस के अजीब तर्क

वहां क्राइम किया होगा, इसलिए नहीं जा रहा
अलमक्की की राष्ट्रीयता पता नहीं चली है। शक है कि अपने देश में वह किसी बड़े अपराध में शामिल हो सकता है, इसलिए वहां लौटने से कतराता है। विदेश मंत्रालय को उसकी जानकारी भेजी जा रही है। वापस नहीं लौटने के पीछे उसका क्या मकसद है, यह पुलिस ही बता सकती है।
सुरेन्द्र सिंह तोमर, डीएसपी डीएसबी


उसके देश का कानून सख्त
अलमक्की अपने घर का पता बताने को तैयार नहीं है। वह दलील देता है उसके देश का कानून काफी सख्त है। उसकी कुछ गलतियों पर परिवार को भी सजा मिलेगी।
संतोष सिंह, टीआइ पड़ाव थाना


भेजने के प्रयास कर रहे हैं
मामला एएसपी को सौंपा गया है। जल्द ही विदेशी को उसके देश पहुंचाने की कार्रवाई की जाएगी। प्रयास किए जा रहे हैं।
नवनीत भसीन, एसपी ग्वालियर

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