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किस काम की तीसरी आंध, करोंड़ों लगवाने में खर्च कराए,  फिर भी पुलिस की नजरें कमजोर

locationग्वालियरPublished: Aug 02, 2019 01:55:39 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

पीडि़त इंतजार में बदमाश पकड़े जाएं तब मिले न्याय……..

police gwalior not finding accused of crime captured in CCTV

किस काम की तीसरी आंध, करोंड़ों लगवाने में खर्च कराए,  फिर भी पुलिस की नजरें कमजोर

ग्वालियर। चोरों और लुटेरों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस ने कारोबारियों और व्यापारियों पर दबाव बनाकर शहरभर में मुख्य बाजारों और प्रतिष्ठानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। कैमरों का परिणाम भी बेहतर मिला। वारदात कर भागने वाले बदमाश कैमरे में कैद होने पर पहचान लिए गए। वहीं कई ऐसी वारदातें हैं जो कैमरे में कैद हो गईं फिर भी पुलिस उन बदमाशों को नहीं ढूंढ सकी है। वारदातों को कई दिन बीत चुके हैं। पीडि़त इंतजार में हैं कि बदमाश पकड़े जाएं तो उन्हें न्याय मिले। पीडि़तों का कहना है बदमाशों का हुलिया आने के बाद भी पुलिस उन्हें पकड़े क्यों नहीं पा रही है इससे उनका पुलिस पर विश्वास भी कम होने लगा है।

नोट: ऐसे कई लूट और चोरी के मामले हैं जिनमें बदमाशों का हुलिया दिखा लेकिन पुलिस उन्हें पकडऩे में नाकाम रही।

मुखबिर तंत्र फेल
एक समय था जब पुलिस का मुखबिर तंत्र काफी मजबूत हुआ करता था। गैंगस्टर, शूटर और डकैत मुखबिर की बदौलत धराशायी किए। अब वर्तमान में मुखबिर तंत्र कमजोर है। पुलिस कर्मचारी दबी जुबान में कहते हैं मुखबिर बनाने के लिए काफी कुछ करना पड़ता है। पहले अधिकारी भी मदद किया करते थे अब भी पीछे हट जाते हैं।

575 कैमरे भी मददगार नहीं
पुलिस द्वारा शहरभर में चौराहा, तिराहा पर करीब 575 कैमरे लगवाए गए थे। कई बार बदमाश इनमें कैद भी हुए। कुछ में बदमाशों का हुलिया भी दिखा। इसके बाद भी बदमाशों को पुलिस नहीं पकड़ सकी। कई कैमरे भी उच्च क्वालिटी न होना भी टे्रस नहीं कर पाना एक कारण बना है। कुल मिलाकर करोड़ों खर्च करने पर भी बेहतर परिणाम नहीं मिल सका।

बदमाशों के जो फुटेज मिले हैं उससे उनकी तलाश की जा रही है। कुछ जगह टीम गई भी लेकिन अभी तक कोई महत्वपूर्ण सुराग नहीं मिला है। फिलहाल मामले की जांच कर बदमाशों का पता किया जा रहा है।
सतेन्द्र सिंह तोमर, एएसपी

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स्थान: स्टेशन बजरिया

16 जुलाई को शीलनगर निवासी विक्रम धाकड़ टैक्सी लेकर स्टेशन बजरिया पर खड़ा था तभी दो बदमाश ग्राहक बनकर उसके पास आकर बोले झांसी चलना है। दो हजार में सौदा तय हो गया। दोनों टैक्सी में सवार हुए और झांसी के लिए निकल पड़े। झांसी से पहले उन बदमाशों ने बहाने से टैक्सी रुकवाई। फिर विक्रम की गर्दन पर कट्टा अड़ा उसे नीचे उतारकर लात-घूसों से पीटा। उसकी जेब से रुपए और कार लूटकर भाग गए। बड़ी मशक्कत के बाद पड़ाव थाने में वह एफआईआर करा सका।

क्या हुआ : झांसी जाते समय विक्रम ने गुड़ी गुड़ा का नाका पर पेट्रोल पंप पर गाड़ी में गैस भराई थी। वहां लगे सीसीटीवी कैमरे देखे तो बदमाश गाड़ी से उतरकर पंप के आस-पास टहलते हुए दिखाई दिए। फुटेज झांसी पुलिस ले भी गई। विक्रम ने पड़ाव थाना पुलिस को भी दिए। लुटेरों के हुलिए आने पर भी 15 दिन बीतने पर भी पुलिस नहीं ढूंढ सकी है।

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स्थान: शिवपुरी लिंक रोड
6 जुलाई शुक्रवार दोपहर 12.41 का समय, सीएमएस कैश वैन में सवार होकर कैशियर रीतेश, गार्ड रमेश तोमर चालक रंजीत के साथ शिवपुरी लिंक रोड पर पहुंचे। रमेश और रंजीत कैश वैन में बैठे रहे। रीतेश इंस्टाकर्ट पर गया और रकम लेकर वैन में लौटा। उसने दरवाजा बंद ही किया था कि बाइक से दो बदमाश आए। एक ने गार्ड रमेश की बंदूक छीनकर गोली मारकर हत्या कर दी। दूसरे बदमाश ने 8.28 लाख रुपए से भरा बैग उठाया। लूट को अंजाम देकर कैंसर पहाड़ी के रास्ते से भाग गए।

क्या हुआ : इंस्टाकार्ट की दुकान पर सीसीटीवी कैमरे लगे थे। पुलिस ने कैमरे खंगाले तो दोनों बदमाश वारदात को अंजाम देते हुए साफ दिख रहे हैं। उनके फोटो भी जारी किए गए लेकिन हुलिया आने के बाद भी लूट को 25 दिन हो चुके हैं पुलिस उन लुटेरों को पकडऩा तो दूर उनका सुराग भी नहीं लगा सकी है।

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