लेडीज पार्क में 2.41 करोड़ रुपए की लागत से काम कराया गया है, यह काम पूरा होने के बाद भी लोकार्पण भी हो चुका है, लेकिन गुणवत्ताविहीन काम होने की वजह से दो बार मरम्मत कराई जा चुकी है। 39 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ वन सिटी वन एप 15 दिसंबर 2017 से शुरू होकर 30 अप्रैल 2018 को पूरा होना था। अधिकारियों ने इसका लाभ उठाने के लिए बातें तो बहुत कीं, लेकिन लाभ लेने का सही तरीका आमजन तक नहीं पहुंचाया गया, हर बार कुछ न कुछ नया जोडऩे का बहाना करके इसकी सही जानकारी आम जन तक नहीं पहुंची। परिणाम यह है कि समस्या समाधान के लिए अधिकतर लोग एप पर जाने की बजाय निगम मुख्यालय के ही चक्कर काटते नजर आते हैं। इस एप के यूजर न के बराबर हैं।
कटोरा ताल का 2.17 करोड़ रुपए की लागत से सौंदर्यीकरण कराने का काम किया गया था। 26 मार्च 2017 से यह काम शुरू हुआ था और 2018 में पूरा हुआ। अब स्थिति यह है कि लाल पत्थर से हुआ सौंदर्यीकरण एक साल भी पूरा नहीं चल पाया पत्थर उखडऩे और टूटने लगे हैं। सुंदरता के लिए कराए गए कामों की रंगत खराब हो गई है और यह काम बस दिखावा बनकर रह गया है। 59 लाख रुपए से स्मार्ट क्लास रूम तैयार कराने के लिए सिविल वर्क हुआ है, बच्चों को स्मार्ट बनाने के लिए बेहतर शिक्षा का वातावरण तैयार नहीं हो सका है। पब्लिक बाइक शेयरिंग के लिए 5.6 करोड़ रुपए से प्लान तैयार किया गया था, इसकी वास्तविक हालत यह है कि कुछ जगह स्टैंड तो नजर आते हैं, बाइक शेयरिंग कांसेप्ट को लागू करने के लिए तीन साल जारी प्रयास अभी भी भलीभूत नहीं हो सका है।