गुरुवार को भी विकास नगर स्थित साईं मंदिर पर प्रसाद के साथ पौधों का वितरण किया गया। शहर में चारों तरफ हरियाली बढ़ाने और पानी की कमी न रहे,इसके लिए अब शहर के मंदिरों में पुजारियों द्वारा लोगों को प्रसाद के साथ ही पौधे भी भगवान के आशीर्वाद के रूप में दिए जाएंगे। मंदिरों में पौधे नीर संस्था द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना सफल होने पर इसे शहर के अन्य मंदिरों में भी इसी प्रकार बारिश के मौसम में पौधे बांटने के कार्य को और विस्तार रूप से किया जाएगा।
पंजाब से एमबीए कर लौटीं दिपाली की पहल
शहर में पौधरोपण को बढ़ावा देने के लिए यह पहल पंजाब के जालंधर शहर से एमबीए की पढ़ाई पूरी कर लौटीं ग्वालियर की रहने वाली दिपाली श्रीवास्तव ने की है। उन्होंने बुधवार को गणेश मंदिर पर जाकर 51 पौधों का भोग लगाया।
शहर में पौधरोपण को बढ़ावा देने के लिए यह पहल पंजाब के जालंधर शहर से एमबीए की पढ़ाई पूरी कर लौटीं ग्वालियर की रहने वाली दिपाली श्रीवास्तव ने की है। उन्होंने बुधवार को गणेश मंदिर पर जाकर 51 पौधों का भोग लगाया।
इतने सारे पौधे देखकर पहले तो मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य भी चौंके,लेकिन बाद में जब दिपाली और उनकी मां ने पौधे लाने का उद्देश्य स्पष्ट किया तो उन्होंने न सिर्फ इसकी भरपूर सराहना की बल्कि मंदिर के व्यवस्थापक ललित खंडेलवाल ने उनकी योजना में पूरा सहयोग देने का आश्वासन भी दिया। इसके बाद गुरुवार को भी शहर के साईं मंदिर में प्रसाद के रूप में पौधों का वितरण किया गया।
गुरुद्वारा से शुरू हुआ था पौधा वितरण
शहर की दिपाली ने बताया कि मानसून की दस्तक के साथ ही पंजाब के गुरुद्वारों और मंदिरों में पौधा प्रसादी का कार्यक्रम शुरू कर किया गया है। प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए धार्मिक संस्थाओं द्वारा मंदिरों और गुरुद्वारों से प्रसादी के रूप में प्रत्येक श्रद्धालु को एक पौधा दिया जाता है।
शहर की दिपाली ने बताया कि मानसून की दस्तक के साथ ही पंजाब के गुरुद्वारों और मंदिरों में पौधा प्रसादी का कार्यक्रम शुरू कर किया गया है। प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए धार्मिक संस्थाओं द्वारा मंदिरों और गुरुद्वारों से प्रसादी के रूप में प्रत्येक श्रद्धालु को एक पौधा दिया जाता है।
चूंकि यह पौधा ईश्वर का प्रसाद है इसलिए श्रद्धालु इसे पूरे सम्मान के साथ न सिर्फ रोपते हैं बल्कि उसकी देखरेख भी करते हैं। दिपाली ने बताया कि इसके प्रयोग का वहां काफी सकारात्मक असर दिखाई दिया। इसे देखकर ही मैंने अपने शहर ग्वालियर में इस अभियान की शुरुआत की है,उम्मीद है इसमें जरूर सफलता मिलेगी।
अब हर मंदिर पर लगाएंगी पौधों का भोग
गणपति मंदिर पर पौधा प्रसादी को लेकर श्रद्धालुओं में दिखे उत्साह के बाद दिपाली ने तय किया है कि वे अब हर मंदिर पर पौधों का भोग लगाकर प्रसाद वितरण कराएंगी ताकि लोग अधिक से अधिक पौधे लगाएं और शहर को हरा भरा बना सकें।
गणपति मंदिर पर पौधा प्रसादी को लेकर श्रद्धालुओं में दिखे उत्साह के बाद दिपाली ने तय किया है कि वे अब हर मंदिर पर पौधों का भोग लगाकर प्रसाद वितरण कराएंगी ताकि लोग अधिक से अधिक पौधे लगाएं और शहर को हरा भरा बना सकें।
उन्होंने बताया कि वह दिन के हिसाब से मंदिरों का चयन करेंगी जिससे पौधों का वितरण सही हो सके। साथ ही इस अभियान में वह सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ नगर निगम से सहयोग लेने के लिए भी चर्चा करेंगी ताकि पौधा प्रसादी का कार्य पूरे मानसून सीजन में चलता रहे।
अन्य धार्मिक स्थल भी जोड़े जाएंगे
इसके साथ ही दरगाह,गुरुद्वारा एवं अन्य धार्मिक स्थलों को भी पर्यावरण संरक्षण से जोडऩे की तैयारी होगी। वहीं नगर निगम द्वारा निगम सीमा में करीब 5 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य तय किया गया है। उक्त लक्ष्य के लिए सभी जेडओ से अपने-अपने क्षेत्रों में पौधे रोपने वाली जगह और उनके संरक्षण का प्लान तैयार कराया जा रहा है। इसके साथ ही सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाओं की भी जनभागीदारी तय करने की बात निगमायुक्त विनोद शर्मा ने कही है।
इसके साथ ही दरगाह,गुरुद्वारा एवं अन्य धार्मिक स्थलों को भी पर्यावरण संरक्षण से जोडऩे की तैयारी होगी। वहीं नगर निगम द्वारा निगम सीमा में करीब 5 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य तय किया गया है। उक्त लक्ष्य के लिए सभी जेडओ से अपने-अपने क्षेत्रों में पौधे रोपने वाली जगह और उनके संरक्षण का प्लान तैयार कराया जा रहा है। इसके साथ ही सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाओं की भी जनभागीदारी तय करने की बात निगमायुक्त विनोद शर्मा ने कही है।
यह बांटे जाएंगे पौधे
मंदिरों से जो पौधे प्रदान किए जाएंगे।उनमें तुलसी, पीपल, बरगद, आम, जामुन, पाखर, नीम, शीशम एवं फलदार पौधों को प्रसाद के रूप में प्रदान किया जाएगा। ताकि लोग मंदिर से मिले पौधों को जमीन पर लगाकर उनकी उचित देखभाल भी कर सकें।
मंदिरों से जो पौधे प्रदान किए जाएंगे।उनमें तुलसी, पीपल, बरगद, आम, जामुन, पाखर, नीम, शीशम एवं फलदार पौधों को प्रसाद के रूप में प्रदान किया जाएगा। ताकि लोग मंदिर से मिले पौधों को जमीन पर लगाकर उनकी उचित देखभाल भी कर सकें।