scriptपाबंदी के बाद भी नालियों में बहाया जा रहा कीमती पानी | Precious water being sown in the drain even after the ban | Patrika News

पाबंदी के बाद भी नालियों में बहाया जा रहा कीमती पानी

locationग्वालियरPublished: Mar 12, 2019 07:19:08 pm

किसी भी सेंटर पर हाईटेक मशीन नहीं है, जिससे पानी की बर्बादी को रोका जा सके। वाहन धुलाई के लिए हाईटेक तरीकों का इस्तेमाल कर पानी की बर्बादी कम की जा सकती है। कई शहरों में तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

Vehicle Washing Center

पाबंदी के बाद भी नालियों में बहाया जा रहा कीमती पानी

ग्वालियर. वर्ष 2018 में गर्मियों से पहले शहर में जल संकट गहरा गया था। शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले तिघरा में पर्याप्त पानी नहीं था, ऐसे में पानी की कमी के चलते प्रशासन ने वाहन धुलाई सेंटरों पर पाबंदी लगाई थी, लेकिन अब शहर के विभिन्न क्षेत्रों में एक सैकड़ा से अधिक वाहन धुलाई सेंटर फिर खुलेआम संचालित हो रहे हैं। यहां पानी की बर्बादी की जा रही है। यह लोग प्रेशर से वाहनों की धुलाई करते हैं, जिसके कारण पानी की बहुत अधिक बर्बादी होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि वाहनों की धुलाई भू जल से की जा रही है, इसका फिर से उपयोग भी नहीं हो पाता है और ये यूं ही नालियों में बहकर जाता है।
शहर कई सालों से जल संकट से जूझ रहा है, आज भी कई क्षेत्रों में पर्याप्त पानी की सप्लाई नहीं हो रही है, जिससे लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं, इसके बावजूद शहर में अवैध वाहन धुलाई सेंटर चल रहे हैं, यहां हजारों लीटर पानी यूं ही बह जाता है। आने वाले समय में जल संकट और गहराने की आशंका है, इसके बावजूद नगर निगम और प्रशासन ने अभी तक कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया है। प्रशासन की सख्ती सिर्फ तभी दिखाई देती है जब स्थिति खराब हो जाए।
हाईटेक मशीनों का नहीं होता उपयोग

शहर में वाहनों की सफाई के लिए पानी का उपयोग किया जाता है, किसी भी सेंटर पर हाईटेक मशीन नहीं है, जिससे पानी की बर्बादी को रोका जा सके। वाहन धुलाई के लिए हाईटेक तरीकों का इस्तेमाल कर पानी की बर्बादी कम की जा सकती है। कई शहरों में तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यहां कार को धोने के लिए सिर्फ एक बाल्टी पानी का उपयोग किया जाता है, इसके अलावा कई जगहों पर वाटर को रीसाइकल भी किया जाता है, जिससे पानी की बर्बादी नहीं होती है। शहर में एक कार की धुलाई में 150 से 200 बाल्टी तक पानी का उपयोग किया जाता है। बीते पांच साल की बात करें तो जिले में अच्छी बारिश नहीं हुई है, जिसके कारण भू जल स्तर लगातार गिर रहा है।
प्रशासन ने जल स्तर को रीचार्ज करने के लिए भी कोई ठोस पहल नहीं की है। न्यायालय ने सभी शासकीय कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक सभी विभागों ने इसका पालन नहीं किया गया है। शहर को रोजाना ही करीब 10 एफसीएफटी पानी की जरूरत होती है, यह पानी तिघरा और ग्राउंड वाटर के जरिए आता है। ग्राउंड वाटर लगातार निकाला जा रहा है, लेकिन यहां रीचार्ज के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
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