शहर कई सालों से जल संकट से जूझ रहा है, आज भी कई क्षेत्रों में पर्याप्त पानी की सप्लाई नहीं हो रही है, जिससे लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं, इसके बावजूद शहर में अवैध वाहन धुलाई सेंटर चल रहे हैं, यहां हजारों लीटर पानी यूं ही बह जाता है। आने वाले समय में जल संकट और गहराने की आशंका है, इसके बावजूद नगर निगम और प्रशासन ने अभी तक कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया है। प्रशासन की सख्ती सिर्फ तभी दिखाई देती है जब स्थिति खराब हो जाए।
हाईटेक मशीनों का नहीं होता उपयोग शहर में वाहनों की सफाई के लिए पानी का उपयोग किया जाता है, किसी भी सेंटर पर हाईटेक मशीन नहीं है, जिससे पानी की बर्बादी को रोका जा सके। वाहन धुलाई के लिए हाईटेक तरीकों का इस्तेमाल कर पानी की बर्बादी कम की जा सकती है। कई शहरों में तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यहां कार को धोने के लिए सिर्फ एक बाल्टी पानी का उपयोग किया जाता है, इसके अलावा कई जगहों पर वाटर को रीसाइकल भी किया जाता है, जिससे पानी की बर्बादी नहीं होती है। शहर में एक कार की धुलाई में 150 से 200 बाल्टी तक पानी का उपयोग किया जाता है। बीते पांच साल की बात करें तो जिले में अच्छी बारिश नहीं हुई है, जिसके कारण भू जल स्तर लगातार गिर रहा है।
प्रशासन ने जल स्तर को रीचार्ज करने के लिए भी कोई ठोस पहल नहीं की है। न्यायालय ने सभी शासकीय कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक सभी विभागों ने इसका पालन नहीं किया गया है। शहर को रोजाना ही करीब 10 एफसीएफटी पानी की जरूरत होती है, यह पानी तिघरा और ग्राउंड वाटर के जरिए आता है। ग्राउंड वाटर लगातार निकाला जा रहा है, लेकिन यहां रीचार्ज के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।