प्रीति ने बताया कि इस समय मेरी टीम पोषण माह वाटिका के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पौधों का वितरण कर रही है। हम 16 से अधिक गांव कवर कर चुके हैं। वहां बच्चों को पौधे देते हैं, जो अपने घरों पर संरक्षित करते हैं। उन्हें पौधे की जानकारी, उनसे मिलने वाले विटामिन्स और उन्हें सात्विक भोजन से भी परिचित कराते हैं, जिन्होंने अपने घरों में बदलाव लाया है। पौधों के लिए हमने शहर में तीन नर्सरी बनाई हैं, जिसमें हम उन्हें तैयार करते हैं। कई वालंटियर अपने घर की छतों में भी पौधे बड़े कर रहे हैं।
प्रीति 9वीं क्लास से पर्यावरण के प्रति अवेयर हैं। वह 2016 से मिशन 100 करोड़ वृक्ष संस्था से जुड़ीं और आज अध्यक्ष पद पर काम कर रही हैं। इसके साथ ही वे क्लीन इंडिया ग्रीन इंडिया की को-ऑर्डिनेटर हैं। इसके अंतर्गत उन्होंने मेरा वार्ड मेरा अभिमान कैंपेन चलाया, जिससे काफी बदलाव देखने को मिला। इस समय वे कचरा कम निकालने, कचरे का रीयूज करने पर काम कर रही हैं। इससे उन्होंने महिलाओं व बच्चों को भी जोड़ा है।
प्रीति ने सेंट्रल जेल के लिए दो साल का प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसके अंतर्गत वे महिला कैदियों को गोबर आर्ट वर्क सिखाएंगी। इससे डेकोरेटिव आयटम्स कैदी तैयार करेंगे। प्रदर्शनी लगाकर उनकी बिक्री की जाएगी। कोरोना से पहले कुछ समय महिला कैदियों प्रशिक्षण दिया जा चुका है।