कुम्हारों की चाक की रफ्तार को धीमी करने में बड़ी वजह महंगाई भी माना जा रही है। ललितपुर कॉलोनी के पास मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे हरगोविंद प्रजापति ने बताया कि मैं इस काम से बचपन से जुड़ा हूं। दीपक बनाने में सबसे बड़ी परेशानी मिट्टी मिलने की है। एक ट्रॉली मिट्टी (करीब 80 फुट) के लिए तीन हजार रुपए देना पड़ रहे हैं। रोजाना करीब दो हजार दीपक तैयार कर रहे हैं। दीपावली सीजन के लिए करीब 35 से 40 हजार दीपक तैयार कर लेंगे। 100 दीपक बाजार में 60 से 80 रुपए के भाव से बिकेंगे।
जिंसी नाला नंबर तीन पर मिट्टी के दीपक बनाने वाले मनीराम प्रजापति ने बताया कि पिछले 20 वर्ष से यही काम कर रहे हैं। इसमें पूरा परिवार लगा रहता है। दीपावली से पहले दीपक और करवा के साथ साल भर डबूले, मटके आदि बनाते हैं। दीप पर्व के मौके पर पहले की तुलना में अब दीपक की बिक्री कम होती है। इसका कारण बिजली की झालर भी हैं। कुछ लोग तो सिर्फ पूजा के लिए ही दीयों की खरीदारी करते हैं। पिछले साल कोरोना संक्रमण काल ने परेशान कर दिया था, उम्मीद है कि ये वर्ष अच्छा रहना चाहिए।