ग्वालियर

तैयारी दीप पर्व की : चाक से गढ़ रहे रोशनी की उम्मीद

– घरों में समृद्धि की रोशनी लेकर आने वालों ने लॉकडाउन में आर्थिक तंगी का किया था सामना- इस साल की दीपावली इनके लिए भी लेकर आई उम्मीदें, इनके घर भी होंगे रोशन

ग्वालियरOct 27, 2021 / 09:03 am

Narendra Kuiya

तैयारी दीप पर्व की : चाक से गढ़ रहे रोशनी की उम्मीद

ग्वालियर. दीपों का त्योहार दीपावली चार नवंबर को है। दीप पर्व पर घर-घर मिट्टी के दीपक जलाने का अलग ही महत्व है। इससे घर-आंगन तो रोशन होता ही है इसके साथ ही हमारे घरों में भी समृद्धि की रोशनी आती है। हमारे घरों में समृद्धि की रोशनी लाने के लिए इन दिनों कुम्हार चाक पर दीपक गढऩे में जुटे हुए हैं। कोरोना संक्रमण काल के कारण लॉकडाउन में आर्थिक तंगी का सामना इन्हें भी करना पड़ा था। उस समय मिट्टी के धंधे में भी ग्रहण लगा। गत वर्ष की दीपावली पर इसका खासा असर देखने को मिला था, पर इस वर्ष का दीप पर्व इनके लिए भी उम्मीदें लेकर आया है कि इस बार इनके घर भी रोशन हो सकेंगे। हालांकि कमर तोड़ महंगाई इन्हें भी परेशान किए हुए है। स्थानीय कुम्हार दो महीने पहले से दीपक बनाने के कार्य में जुट जाते हैं।
मिट्टी महंगी होने से काम प्रभावित
कुम्हारों की चाक की रफ्तार को धीमी करने में बड़ी वजह महंगाई भी माना जा रही है। ललितपुर कॉलोनी के पास मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे हरगोविंद प्रजापति ने बताया कि मैं इस काम से बचपन से जुड़ा हूं। दीपक बनाने में सबसे बड़ी परेशानी मिट्टी मिलने की है। एक ट्रॉली मिट्टी (करीब 80 फुट) के लिए तीन हजार रुपए देना पड़ रहे हैं। रोजाना करीब दो हजार दीपक तैयार कर रहे हैं। दीपावली सीजन के लिए करीब 35 से 40 हजार दीपक तैयार कर लेंगे। 100 दीपक बाजार में 60 से 80 रुपए के भाव से बिकेंगे।
अब कम बिकते हैं दीपक
जिंसी नाला नंबर तीन पर मिट्टी के दीपक बनाने वाले मनीराम प्रजापति ने बताया कि पिछले 20 वर्ष से यही काम कर रहे हैं। इसमें पूरा परिवार लगा रहता है। दीपावली से पहले दीपक और करवा के साथ साल भर डबूले, मटके आदि बनाते हैं। दीप पर्व के मौके पर पहले की तुलना में अब दीपक की बिक्री कम होती है। इसका कारण बिजली की झालर भी हैं। कुछ लोग तो सिर्फ पूजा के लिए ही दीयों की खरीदारी करते हैं। पिछले साल कोरोना संक्रमण काल ने परेशान कर दिया था, उम्मीद है कि ये वर्ष अच्छा रहना चाहिए।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.