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गुरु, नर्तक, कोरियोग्राफर, गायक और कंपोजर के बादशाह थे पं. बिरजू महाराज

locationग्वालियरPublished: Jan 19, 2022 01:35:29 am

Submitted by:

prashant sharma

महाराज भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन वे हमेशा शहर के कलाकारों के दिलों में बसते रहेंगे।

गुरु, नर्तक, कोरियोग्राफर, गायक और कंपोजर के बादशाह थे पं. बिरजू महाराज

गुरु, नर्तक, कोरियोग्राफर, गायक और कंपोजर के बादशाह थे पं. बिरजू महाराज

ग्वालियर. विश्वभर में प्रसिद्ध कथक डांस के सम्राट पंडित बिरजू महाराज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया. हार्ट अटैक के बाद रविवार देर रात उन्होंने दिल्ली में आखिरी सांस ली। बिरजू महाराज का असली नाम बृजमोहन मिश्रा था. उनका जन्म 4 फरवरी, 1938 को लखनऊ में हुआ था. पंडित बिरजू महाराज गुरु, नर्तक, कोरियोग्राफर, गायक और कंपोजर थे. वे तालवाद्य बजाते थे, कविता लिखते थे और चित्रकारी भी करते थे. इन सब विधाओं के वे बादशाह थे। उनके शिष्य जाने-माने कलाकार हैं और दुनियाभर में फैले हैं।
महाराज भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन वे हमेशा शहर के कलाकारों के दिलों में बसते रहेंगे। यहां के लोगों से उनका खास जुड़ाव था। वे दो बार ग्वालियर भी आ चुके हैं। पहली बार 1996 में आइटीएम यूनिवर्सिटी के संस्थापक रमाशंकर सिंह द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने ग्वालियर आए थे। इसके बाद 6 सितंबर 2008 में उद्भव उत्सव में शामिल होने ग्वालियर आए। 2019 में उन्हें आइटीएम के दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि लेने आना था, लेकिन स्वास्थ्य सही न होने के चलते नहीं आ सके। तब उनके आवास पर ही मानद उपाधि दी गई। पिछले साल 26 अगस्त को वे संगीत विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय व्याख्यानमाला में वर्चुअल जुड़े और छात्रों से बात की।
उन्हीं से प्रेरित होकर मैंने संस्था खोली
ग्वालियर की कथक नृत्यांगना माया कुलश्रेष्ठ ने बताया मेरा पहली बार पंडित बिरजू महाराज से उन्हीं के प्रोग्राम ‘कथक महाकुंभ’ में मिलना हुआ, जो इलाहाबाद में हुआ था। उसमें मैंने संगीत विश्वविद्यालय की तरफ से प्रस्तुति दी थी। इसके बाद उनके दिल्ली स्थित कला आश्रम में वर्कशॉप में शामिल हुई। उन्हीं से प्रेरित होकर मैंने वहीं संस्था खोली और बच्चों को कथक सिखाने लगी। इस दौरान उनसे कई बार मेरी मुलाकात हुई।
हमेशा अपने शिष्यों का मार्गदर्शन किया
पं. बिरजू महाराज 26 अगस्त 2021 को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय व्याख्यान माला में मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल जुड़े। उन्होंने ‘भारतीय संस्कृति की संवाहक: हमारी लोक कलाएं’ विषय पर छात्रों का मार्गदर्शन किया। विश्वविद्यालय के कुलपति पंडित साहित्य कुमार नाहर ने बताया कि अपनी स्पीच में उन्होंने कई ऐसी बातें बताईं जो जिंदगी का सार थीं।
बीमारी के चलते नहीं आ सके उपाधि लेने
आइटीएम यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर दौलत सिंह चौहान ने बताया कि चतुर्थ दीक्षांत समारोह में पं बिरजू महाराज को डीलिट की मानद उपाधि से नवाजा गया था। वे बीमार होने के चलते ग्वालियर नहीं आ सके। उन्होंने वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि मेरी इच्छा थी कि मैं आप लोगों के पास आऊं, छात्र-छात्राओं से मिलंू, उनसे बात करूं। अपने कथक के सफर के बारे में भी सुनाऊं। लेकिन डॉक्टर ने मुझे अस्वस्थता के चलते मना किया है। उन्होंने यूनिवर्सिटी में साहित्य, कला, खेल, संगीत से जुड़ी गतिविधियों के लिए बधाई दी थी।
बच्चों को भारतीय नृत्य से जोडऩे अभिभावकों से कहा था
उद्भव सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के ‘उद्भव उत्सव’ कार्यक्रम में शामिल होने बिरजू महाराज 6 सितंबर 2008 में भगवत सहाय ऑडिटोरियम आए थे। वे यहां तीन दिन रुके। संस्था के अध्यक्ष डॉ केशव पांडे एवं सचिव दीपक तोमर ने बताया कि कार्यक्रम में उन्होंने परफॉर्म किया। साथ ही छात्रों को कथक की बारीकियां से परिचित कराया। बेस्ट टीमों को पुरस्कृत कर उनका मान बढ़ाया। उस दौरान उन्होंने माता-पिता को बच्चों को भारतीय नृत्य से जोडऩे की बात कही थी।

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