पर्यटकों को मिलती है हथियार गैलरी की जानकारी
गूजरी महल में गाइड भी इन्हीं हथियार की गाथा पर्यटकों को बताते हैं और वे सुनकर चले जाते हैं। उनके सामने संगीत कक्ष की कहानी तब बताई जाती है, जब पर्यटकों की निगाह उन झरोखों पर पड़ती है। संगीत कक्ष में झरोखे आज भी बने हुए हैं, जिनके रख-रखाव का आभाव है।
किसी और के जाने की अनुमति नहीं थी संगीत कक्ष में
संगीत कक्ष लगभग तीस फीट नीचे बनाया गया है, जहां सीढिय़ों से जाना होता है। इन सीढिय़ों से एक-एक व्यक्ति ही उतर सकता है। क्योंकि सीढिय़ों की चौड़ाई मात्र दो से सवा दो फीट है। बताया जाता है कि राजा मानसिंह के समय संगीत कक्ष में किसी और के जाने की अनुमति नहीं थी। वहां केवल गायक बैजू बावरा जाते थे और झरोखे से रानी उन्हें सुना करती थी। झरोखे तक रानी के पहुंचने का रास्ता भी कोई और बताया जाता है।
वर्जन
संगीत कक्ष के मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। गूजरी महल में जगह कम है। हथियारों के डिस्प्ले के लिए कोई और जगह नहीं थी, इसलिए यहां किया गया। पर्यटकों को संगीत कक्ष के बारे में भी बताया जाता है।
केएल डाभी, उप संचालक, गूजरी महल
रानी मृगनयनी का संबंध संगीत से था। राजा मानसिंह ने रानी के लिए खास संगीत कक्ष का निर्माण कराया था, जिसकी अपनी अलग विशेषता थी। यहां बने झरोखे उसके गवाह है। संगीत कक्ष को मूल स्वरूप में रखा जाना चाहिए था। यहां हथियार गैलरी नहीं बननी चाहिए थी।
अभिजीत सुखदाणे, गुरु, ध्रुपद केन्द्र