गरीब या लावारिस की मौत के बाद उनकी अंत्येष्टि के लिए रामचन्द्र भोईटे ने संकल्प लिया कि लक्ष्मीगंज मुक्ति धाम में विद्युत शवदाह गृह की स्थापना कराई जाए।
ग्वालियर। अपने-आपको हिन्दू होने का गर्व। बस मन में एक ही ललक समाजसेवा करने की। गरीब या लावारिस की मौत के बाद उनकी अंत्येष्टि कौन करे और पैसे के अभाव में कैसे हो? इसके लिए रामचन्द्र भोईटे ने संकल्प लिया कि लक्ष्मीगंज मुक्ति धाम में विद्युत शवदाह गृह की स्थापना कराई जाए।
इसके लिए वे तत्कालीन भाजपा विधायक गंगाराम बांदिल के पीछे और उनके जरिए अफसरों पर तब तक दबाव बनवाते रहे, जब तक उसकी स्थापना नहीं हो गई। विद्युत शवदाह गृह शहर के लिए यादगार बन गया है। पूर्व में उसमें दाह संस्कार लोग नहीं करते थे, लेकिन अब हर वर्ग के लोग अंत्येष्टि करने के लिए पहुंचने लगे हैं। एेसे थे हिन्दू महासभा से जुड़े रामचन्द्र भोईटे।
महाराज बाड़े पर आज भी आती है याद
1948-49 में ग्वालियर में जन्मे रामचन्द्र भोईटे समाजसेवा के साथ ही हिन्दू महासभा में सक्रिय रहे। उनके साथी अशोक शर्मा तूफान बताते हैं कि हमने हिन्दू उत्सव समारोह समिति बनाई, उस समिति के जरिए दौलतगंज में दशहरा मनाना शुरू किया, दौलतगंज से पाटनकर चौराहा तक हर तरह की सजावट हम कराते थे। महाराज बाड़े पर गणेश पूजन मेला लगाने की शुरुआत आज से तीन-साढ़े तीन दशक पूर्व की थी। उन्होंने इस परंपरा को आगे बढ़ाया जो आज भी बाड़े पर गणेश पूजन मेला के रूप में जारी है।
बदल दी मुक्तिधाम की दशा
बच्चे की मृत्यु ने और लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम की दुर्दशा ने उनको सोचने तक के लिए मजबूर कर दिया। इस मुक्तिधाम को शहर के अन्य मुक्तिधामों से सुन्दर और सुविधायुक्त बनाने का बीड़ा उठाया और उनके इस अभियान में शहर के कई लोग शामिल हुए और विद्युत शवदाह गृह बनवाने के अलावा मुक्तिधाम में टीनशेड और वहां आने वालों को बैठने के लिए कुर्सी तक डलवाने का प्रयास किया, यह सब काम हो जाए, इसके लिए वे तत्कालीन विधायक गंगाराम बांदिल से मिलकर प्रयास करते रहे। उन्होंने मराठा समाज के मृत लोगों के दाह संस्कार के लिए अलग से मुक्ति धाम भी बनवाया।