नेकी कमाने का माह है रमजान
मुस्लिम समुदाय का पवित्र महीना रमजान का चांद बुधवार को नजर नहीं आया। शहर काजी अब्दुल हमीद कादरी ने बताया बुधवार को चांद नहीं दिखने के कारण अब गुरुवार को चांद दिखेगा, जिसके बाद शुक्रवार से पहला रोजा रखा जाएगा। इस्लामी कैलेंडर के नौवे महीने को रमजान कहते हैं। मुस्लिम धर्म गुरुओं के अनुसार चांद दिखने के बाद पहला रोजा रखा जाता है। बताया जाता है कि इस माह अल्लाह द्वारा नापसंद कामों से तौबा या दूरी बनाना और अपनी जरूरतों और भूख पर काबू करना ही रोजा है। रमजान माह में 30 रोजे पड़ेंगे। इस माह में 5 जुमे आएंगे पहला जुमा 18 मई को व आखरी 15 जून को पड़ेगा जिसे अलविदा का जुमा कहा जाता है। आखिरी रोजे के अगले दिन ईद-उल-फितर त्योहार मनाया जाएगा। कहा जाता है रमजान में रोजदारों द्वारा की गई नेकियों व इबादत का अल्लाह द्वारा इनाम ही ईद-उल-फितर है। जिसे देश और दुनिया में धूम धाम से मनाया जाता है। इस महीने दान पुण्य के कार्यों को प्रधानता दी जाती है। वहीं चांद दिखने के बाद लोग रोजा इफ्तार और सहरी के लिए खरीदारी करने बाजारों में निकल पड़े हैं।
हर घर में रमजान की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजार में खरीदारी को चहल पहल देखी जा रही है। मुस्लिम धर्म गुरुओं के अनुसार इस महीने में अल्ला की हर नेमत का शुक्र अदा किया जाता है। इसलिए इस महीने को नेकियों और इबादतों का महीना कहा जाता है।
15 घंटे का रोजा
इस बार 18 जून को पडऩे वाला पहला रोजा 15 घंटा 1३ मिनट व अंतिम रोजा 15 घंटा 3६ मिनट का होगा। पहले रोजे में सुबह 3.55 बजे सेहरी और शाम 7.08 बजे इफ्तार किया जायेगा। आखिरी रोजे में सुबह 3.44 बजे सहरी और शाम 7.20 बजे इफ्तार होगा। इन तीस रोजों के बीच एक रात आती है जिसे शब-ए-कद्र कहा जाता है।
पांचवां स्तंभ है रोजा
रोजे को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना गया है। इस महीने मुसलमान तकवा हासिल करने के लिए रोजा रखते हैं। तकवा का अर्थ है अल्लाह को नापसंद काम न कर उनकी पसंद के कामों को करना। आसान शब्दों में कहा जाए तो यह महीना मुसलमानों के लिए सबसे खास होता है।