सिटी सेंटर के आसपास हुई जमकर बिक्री
पिछले कुछ वर्षों में सिर्फ सिटी सेंटर के आसपास के गांवों में ही जमीन की सबसे अधिक बिक्री हुई है। इनमें महलगांव, ओहदपुर, सिरोल, मेहरा, थाटीपुर, रमौआ, डोंगरपुर, बड़ागांव और नैनागिर शामिल हैं। वहीं बाकी 50 गांवों में बिक्री न के बराबर है।
– पटवारी हलका क्रमांक -23 पनिहार, सिंचित भूमि वर्ष 2010-11 में कीमत 4 लाख 94 हजार, वर्ष 2011-12 में कीमत 25 लाख, बढ़ोतरी 406 फीसदी, वर्ष 2014-15 में कीमत 76 लाख, बढ़ोतरी 609 फीसदी। पटवारी हलका क्रमांक- 70 चन्दोहाखुर्द, सिंचित भूमि वर्ष 2010-11 में कीमत 21 लाख 78 हजार, वर्ष 2011-12 में कीमत 3 करोड़, बढ़ोतरी 1277 फीसदी, वर्ष 2014-15 में कीमत 4 करोड़ 20 लाख, बढ़ोतरी 1828 फीसदी। पटवारी हलका क्रमांक- 82 लखनोतीकलां, सिंचित भूमि वर्ष 2010-11 में कीमत 10 लाख 16 हजार, वर्ष 2011-12 में कीमत 3 करोड़, बढ़ोतरी 2853 फीसदी। वर्ष 2014-15 में कीमत 3 करोड़ 63 लाख, बढ़ोतरी 3473 फीसदी।
आम खरीदार को नुकसान होगा
कलेक्टर गाइडलाइन में 20 फीसदी कमी करने और स्टाम्प ड्यूटी में 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी से आमजन को नुकसान ही होगा, क्योंकि देशभर में कहीं भी इतनी स्टाम्प ड्यूटी नहीं है, जितनी यहां हो गई है। इससे सामान्य खर्चों में बढ़त हो जाएगी।
– अतुल अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई
वर्तमान में कृषि भूमि की दरों में काफी विसंगतियां हैं। कुछ जगहों पर जो वास्तविक मूल्य है उससे कम गाइडलाइन मूल्य है, लेकिन अधिकांश जगहों पर वास्तविक मूल्य काफी कम हैं और गाइडलाइन अधिक है। सरकार को शहरी क्षेत्र के बजाय कृषि भूमि पर ही कलेक्टर गाइडलाइन में कमी करनी थी। इसके साथ ही स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाने से खरीदार को कुछ भी नहीं मिल पाएगा।
– सुदर्शन झंवर, उपाध्यक्ष, के्रडाई
सरकार ने गाइडलाइन के साथ स्टाम्प ड्यूटी में बदलाव किए हैं, पर स्टाम्ट ड्यूटी तो कम की जानी चाहिए थी। क्योंकि इससे गाइडलाइन कम करने का कोई असर नहीं दिखेगा। सामान्य खरीदार को इससे लाभ कम मिलेगा।
– महेश भारद्वाज, सचिव, क्रेडाई