ग्वालियर

सरकार के फैसले से खुश नहीं रियल एस्टेट कारोबारी, स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाने से आम खरीदार को होगा नुकसान

कलेक्टर गाइडलाइन में शहरी क्षेत्र में कमी करने की बजाय, यदि ग्रामीण क्षेत्र में कम किया जाता तो बेहतर होता, क्योंकि 2012 से 2015 के बीच शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि के 3400 फीसदी से अधिक तक दाम बढ़ चुके हैं

ग्वालियरJun 21, 2019 / 07:49 pm

Rahul rai

सरकार के फैसले से खुश नहीं रियल एस्टेट कारोबारी, स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाने से आम खरीदार को होगा नुकसान

ग्वालियर। प्रदेश सरकार द्वारा कलेक्टर गाइडलाइन में 20 फीसदी कम करने और 2.2 फीसदी स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाने के फैसले से रियल एस्टेट कारोबारी खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इससे रियल एस्टेट सेक्टर में बूम नहीं आएगा, बल्कि आमजन की परेशानी बढ़ सकती है। कलेक्टर गाइडलाइन में शहरी क्षेत्र में कमी करने की बजाय, यदि ग्रामीण क्षेत्र में कम किया जाता तो बेहतर होता, क्योंकि 2012 से 2015 के बीच शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि के 3400 फीसदी से अधिक तक दाम बढ़ चुके हैं। वहीं 2015-16 के बाद गाइडलाइन के दाम स्थिर ही रहे हैं। उस समय बढ़ाए गए दामों का दुष्परिणाम आज भी देखने को मिल रहा है।

सिटी सेंटर के आसपास हुई जमकर बिक्री
पिछले कुछ वर्षों में सिर्फ सिटी सेंटर के आसपास के गांवों में ही जमीन की सबसे अधिक बिक्री हुई है। इनमें महलगांव, ओहदपुर, सिरोल, मेहरा, थाटीपुर, रमौआ, डोंगरपुर, बड़ागांव और नैनागिर शामिल हैं। वहीं बाकी 50 गांवों में बिक्री न के बराबर है।
 

ऐसे समझें कृषि भूमि में बढ़ोतरी
– पटवारी हलका क्रमांक -23 पनिहार, सिंचित भूमि वर्ष 2010-11 में कीमत 4 लाख 94 हजार, वर्ष 2011-12 में कीमत 25 लाख, बढ़ोतरी 406 फीसदी, वर्ष 2014-15 में कीमत 76 लाख, बढ़ोतरी 609 फीसदी। पटवारी हलका क्रमांक- 70 चन्दोहाखुर्द, सिंचित भूमि वर्ष 2010-11 में कीमत 21 लाख 78 हजार, वर्ष 2011-12 में कीमत 3 करोड़, बढ़ोतरी 1277 फीसदी, वर्ष 2014-15 में कीमत 4 करोड़ 20 लाख, बढ़ोतरी 1828 फीसदी। पटवारी हलका क्रमांक- 82 लखनोतीकलां, सिंचित भूमि वर्ष 2010-11 में कीमत 10 लाख 16 हजार, वर्ष 2011-12 में कीमत 3 करोड़, बढ़ोतरी 2853 फीसदी। वर्ष 2014-15 में कीमत 3 करोड़ 63 लाख, बढ़ोतरी 3473 फीसदी।

आम खरीदार को नुकसान होगा
कलेक्टर गाइडलाइन में 20 फीसदी कमी करने और स्टाम्प ड्यूटी में 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी से आमजन को नुकसान ही होगा, क्योंकि देशभर में कहीं भी इतनी स्टाम्प ड्यूटी नहीं है, जितनी यहां हो गई है। इससे सामान्य खर्चों में बढ़त हो जाएगी।
– अतुल अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई
 

खरीदार को कुछ भी नहीं मिलेगा
वर्तमान में कृषि भूमि की दरों में काफी विसंगतियां हैं। कुछ जगहों पर जो वास्तविक मूल्य है उससे कम गाइडलाइन मूल्य है, लेकिन अधिकांश जगहों पर वास्तविक मूल्य काफी कम हैं और गाइडलाइन अधिक है। सरकार को शहरी क्षेत्र के बजाय कृषि भूमि पर ही कलेक्टर गाइडलाइन में कमी करनी थी। इसके साथ ही स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाने से खरीदार को कुछ भी नहीं मिल पाएगा।
– सुदर्शन झंवर, उपाध्यक्ष, के्रडाई
 

कम करनी थी स्टाम्प ड्यूटी
सरकार ने गाइडलाइन के साथ स्टाम्प ड्यूटी में बदलाव किए हैं, पर स्टाम्ट ड्यूटी तो कम की जानी चाहिए थी। क्योंकि इससे गाइडलाइन कम करने का कोई असर नहीं दिखेगा। सामान्य खरीदार को इससे लाभ कम मिलेगा।
– महेश भारद्वाज, सचिव, क्रेडाई

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