न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने एडवोकेट उमेश कुमार बोहरे के माध्यम से प्रस्तुत जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता द्वारा इस याचिका में मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन, सचिव खनिज विभाग, प्रमुख सचिव राजस्व विभाग, आयुक्त चंबल संभाग, कलेक्टर जिला भिंड तथा जिला खनिज अधिकारी को पार्टी बनाया गया है।
याचिकाकर्ता द्वारा याचिका में कहा गया कि उन्होंने 16 जनवरी 19 को एक विधिक सूचना प्रतियाचिकाकर्तागण को अपने अभिभाषक के माध्यम से भेजकर यह मांग की गई कि जिला भिंड में बहने वाली सिंध नदी से रेत माफिया अवैध रुप से रेत का उत्खनन कर रहा है।
प्रशासन के अधिकारी तथा पुलिस अधिकारी इउनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस कारण सिंध नदी का अस्तित्व समाप्त होने की स्थिति में आ गया है। अवैध उत्खनन से सिंध नदी के जलीय जंतुओं के जीवन पर भी संकट उत्पन्न हो गया है। इसके अलावा नदी के नदी के आस-पास के गांव के लोग जो कि दैनिक जीवरन के लिए सिंध नदी के पानी का उपयोग करते हैं उनके लिए भी संकट उखडा हो गया है।
क्षमता से अधिक हो रहा परिवहन
याचिका में कहा गया कि सिंध नदी से रेत के अवैध उत्खनन के लिए पनडुब्बियों का प्रयोग किया जा रहा है। जबकि इस प्रकार के वाहनों का प्रयोग मध्यप्रदेश रेत नियम 1918 के अंंतर्गत प्रतिबंधित है। वहीं क्षमता से अधिक रेत का परिवहन भी किया जा रहा है इससे आए दिन दुर्घटनाएं होती है और सडक़ोंं को भी नुकसान पहुंच रहा है। शासन द्वारा जब उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तब यह जनहित याचिका प्रस्तुत की गई है।
याचिका में कहा गया कि सिंध नदी से रेत के अवैध उत्खनन के लिए पनडुब्बियों का प्रयोग किया जा रहा है। जबकि इस प्रकार के वाहनों का प्रयोग मध्यप्रदेश रेत नियम 1918 के अंंतर्गत प्रतिबंधित है। वहीं क्षमता से अधिक रेत का परिवहन भी किया जा रहा है इससे आए दिन दुर्घटनाएं होती है और सडक़ोंं को भी नुकसान पहुंच रहा है। शासन द्वारा जब उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तब यह जनहित याचिका प्रस्तुत की गई है।