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विपत्ति के समय समाज के साथ खड़ी रहीं रिंकी, फाइनेंसियल कंसलटेंट बन किया लोगों को अवेयर

locationग्वालियरPublished: Nov 25, 2021 09:44:02 am

Submitted by:

Mahesh Gupta

शहर से गांव तक लोगों को बताया सही इन्वेस्टमेंट का तरीका

विपत्ति के समय समाज के साथ खड़ी रहीं रिंकी, फाइनेंसियल कंसलटेंट बन किया लोगों को अवेयर

विपत्ति के समय समाज के साथ खड़ी रहीं रिंकी, फाइनेंसियल कंसलटेंट बन किया लोगों को अवेयर

ग्वालियर.

सफल व्यक्ति वही है, जो अच्छी कमाई करने के साथ समाज और देश के बारे में सोचे। किसी भी विपत्ति में लोगों की मदद के लिए आगे आए। समाज के हित के लिए वह वो करने की क्षमता रखे, जो एक आम इंसान नहीं कर सकता। ग्वालियर की फाइनेंसियल कंसलटेंट रिंकी गुप्ता ने कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने कोरोना काल में जब हॉस्पिटल का बिल न भर पाने व पैसा कम होने से इलाज न करा पाने वाले मरीजों व अटेंडर्स को देखा तो लोगों को अपनी हेल्थ और हेल्थ पॉलिसी के प्रति अवेयर करने की ठानी और नौकरी छोडकऱ ग्वालियर आ गईं। आज उनका प्रयास केवल शहर तक सीमित नहीं है वे गांव के लोगों को भी फाइनेंसियल कंसलटेंट बनकर अवेयर कर रही हैं।
आय, खर्च और रिक्वायरमेंट के अनुसार देती हैं एडवाइज
रिंकी ने बताया कि कोरोना काल में सबसे अधिक परेशानी उन्हें आई, जिनके पास हेल्थ पॉलिसी नहीं थी। पैसा पास न होने से वे अपनों को चाहकर भी नहीं बचा पाए। निश्चिंत होकर इलाज वही लोग करा पाए, जिनके पास हेल्थ पॉलिसी थी। इसीलिए मैं लोगों को सही इन्वेस्टमेंट का तरीका बता रही हूं। मैं लोगों की आय, खर्च और रिक्वायरमेंट के अनुसार एडवाइज देती हूं। यह सेवाएं मैं नि:शुल्क दे रही हूं।
हेल्थ पॉलिसी का फायदा मिला दूसरी लहर में
मैं आइटी सेक्टर गुडग़ांव में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी। कोरोना काल में मैंने मानवता को शर्मशार होते देखा, तब ग्वालियर आकर मैंने आरजीएल फाइनेंस कंसलटेंसी की शुरुआत की। लोगों को हेल्दी रहने के फायदे बताए, साथ ही उन्हें हेल्थ पॉलिसीज से जोड़ा, जिसका फायदा उन्हें कोरोना की दूसरी लहर में मिला।
कई बार उल्टे जवाब मिले, लेकिन अवेयर करना नहीं छोड़ा
रिंकी ने बताया कि जब मैंने इंश्योरेंस को लेकर लोगों से बात की तो उनके मन में बहुत सी भ्रांतियां थीं। खासकर अधिकतर लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस में फर्क नहीं पता था। कई बार उल्टे जवाब भी सुने, लेकिन धैर्य रखकर लोगों को अवेयर किया। लोगों ने यह भी कहा कि जब जरूरत होगी तब देखेंगे। मेरे कहने से जिन्होंने पॉलिसी ली और जब दूसरी लहर बीमार हुए तो वे थैंक्स बोलने मेरे घर आए।
हेल्थ इंश्योरेंस- पॉलिसीधारक के परिवार में किसी के बीमार होने पर अस्पताल में आने वाले खर्च को यह वहन करता है। यह कवर व्यक्ति अपनी सुविधानुसार और अपनी रिक्वायरमेंट के अनुसार डिसाइड कर सकता है।
टर्म इंश्योरेंस- पॉलिसीधारक की मुत्यु होने पर नॉमिनी को एक बड़ा एमाउंट कंपनी पे करती है। बदले में व्यक्ति जीवन भर में हर साल छोटा एमाउंट जमा करता है। टर्म इंश्योरेंस परिवार को मजबूती प्रदान करता है।
पॉलिसी लेते समय इन बातों का रखें ध्यान
– हेल्थ इंशयोरेंस लेते समय आपकी पॉलिसी में ‘को पेमेंट’ न हो।
– किसी बीमारी पर कोई ‘सब लिमिट’ न हो।
– इंश्योरेंस अर्ली एज में लेने की कोशिश करें। इससे उम्र के साथ होने वाली सभी बीमारी कवर हो जाती हैं।
– पॉलिसी लेने से पहले टर्म एंड कंडीशन अच्छे से समझ लें।
– हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में इंकम टैक्स के सेक्शन 80 (डी) में रिबेट ली जा सकती है।
रिंकी गुप्ता, फाउंडर, आरजीएल कंसलटेंसी, फाइनेंसियल कंसलटेंट ग्वालियर
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