केंद्र सरकार पहले ही राउंड फिगर में
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को छठे वेतनमान और महंगाई भत्ते का भुगतान राउंड फिगर में करने का आदेश दिया था। इस तरह मध्यप्रदेश से पहले यह व्यवस्था केंद्र सरकार कर चुकी है। इसलिए पैसों को ऊपर या नीचे के रुपए में गणना कर भुगतान किया जा रहा है।
पत्रिका ऑडिट…
आरबीआई ने माना, पैसा चलता है
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सूचना के अधिकार में दी गई जानकारी के अनुसार पचास पैसे का लीगल टेंडर है। यह अधिकारिक तौर पर प्रचलन में हैं। इसके लेनदेन किया जा सकता है। जबकि हकीकत में पचास पैसे लेनदेन से लगभग बाहर हो चुके हैं।
भुगतान खातों में फिर ऐसा क्यों
सबसे बड़ा सवाल है कि सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन-भत्ते और स्वत्वों का भुगतान बैंक खातों के माध्यम से करती है। नगद भुगतान नहीं किया जाता। इससे पैसे (चिल्हर) का संकट नहीं है, फिर क्यों पैसों की गणना के बजाय रुपए में गणना की जा रही है।
इधर, गैस कंपनियों व पेट्रोल-डीजल पंप पर पैसों का झंझट
एलपीजी, पेट्रोल-डीजल सहित तमाम वस्तुओं के दाम रुपए-पैसे में तय हो रहे हैं। इसकी वजह से पैसे की बजाय रुपए देना पड़ते हैं। जैसे ग्वालियर में रसोई गैस के दाम 1033.50 रुपए हैं। इसमें 50 पैसे न ग्राहक के पास होते हैं और न गैस एजेंसी के कर्मचारी के पास। ग्वालियर में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता यश जैन कहते हैं गैस कंपनियां 50 पैसे में मूल्य तय कर रही हैं। इससे प्रदेशभर के रसोई गैस उपभोक्ताओं की जेब से हर महीने करीब 76 लाख रुपए अधिक निकल रहे हैं।