पुलिस के मुताबिक गुढ़ा चंबल (मुरैना) निवासी मुकेश सिंह सिकरवार ने बेटी आशा का रिश्ता सौधर (नरवर) बैस परिवार मे तय किया है। शुक्रवार को मुकेश परिजन- रिश्तेदारों सहित करीब 40 लोगों को लेकर फलदान चढ़ाने लोडिंग वाहन से दोपहर करीब 12 बजे घर से निकले थे। गाड़ी भूरा चला रहा था। घाटीगांव हाइवे पर आते ही उसने गाड़ी की रफ्तार करीब 100 पर कर दी। तभी अचानक टायर फटा और जोर का ब्लास्ट हुआ। गाड़ी मे सवार लोग कुछ समझ पाते उससे पहले गाड़ी हवा में उछलते हुए पलट गई। कुछ लोग गाड़ी में दब गए तो कुछ उछलकर दूर गिरे। आस-पास के लोगों ने घटना देखी तो मदद कर उन्हें बाहर निकाला। कुछ देर बाद पुलिस भी आ गई। फिर घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल भेजा। जिसमें मुकेश का भतीजा राजेश (40) पुत्र जगदीश सिकरवार और नाती भोलू सिकरवार (12) पुत्र विनोद की मौत हो गई। 18 घायलों में गिर्राज और रामखिलाड़ी की हालत गंभीर है।
बेटे के शव को देख गश खाकर गिरा पिता: हादसे में जगदीश के बेटे विनोद की मौत हो गई। जब उन्हें पता चला कि राजेश इस दुनिया में नही है तो उसके शव को निहारने के बाद वह अस्पताल परिसर में ही बदहवास होकर जमीन पर गिर पड़े। उन्हें रोता देखकर परिवार के लोगों ने संभाला। उधर पिता राजेश के शव को देखकर बेटे अंशु का भी बुरा हाल था। कभी वह पिता के शव से लिपट जाता तो कभी दादा के कंधे पर सर रखकर रोने लगता। राजेश की 14 साल पहले शादी हुई थी। उसके एक बेटा अंशु और बेटी सुमन है। राजेश ग्वालियर में प्लेटफॉर्म पर गोदाम में काम करता था।
4 दिन बाद शादी, खुशी की जगह मातम
आशा की शादी को लेकर सिकरवार परिवार में खुशियां छाई हुई थीं। घर में ढोलक की थाप गूंज रही थी। नजदीकी रिश्तेदार भी घर आ चुके थे। क्योंकि 4 दिन बाद 16 अप्रैल को शादी थी। हादसे के बाद जब मुरैना स्थित मुकेश घर में घटना का पता चला तो ढोलक की थाप की जगह महिलाओं की चीख पुकार मचना शुरू हो गई। खुशियों की जगह मातम छा गया।
यह हुए घायल
सुरेश (45), गिर्राज (50), राकेश (35), संदीप (18), रवि(22), दीपू (15), विट्टू (14), राजेन्द्र (50), सरनाम (40), प्रदीप (22), रामेन्द्र (40), जगदीश (60), जगरूप (50), रामशंकर (35), उद्धव(17), रामधुन (28), शिवकरन (18) और रामखिलाड़ी है।
जेएएच अधीक्षक ने खुद संभाला मोर्चा
हादसे की खबर जेएएच अधीक्षक अशोक मिश्रा को मिली तो वह स्वयं ट्रॉमा सेंटर पहुंच गए। उन्होंने करीब 6 से 8 डॉक्टरों को बुलावाया। जैसे-जैसे घायल आते जा रहे थे उनका इलाज शुरू किया जा रहा था। कुछ कमी होती तो अधीक्षक स्वयं स्टाफ को बोलकर सामान मंगाते। कुल मिलाकर अधीक्षक के मौजूद रहने से डॉक्टर और स्टाफ पूरी सतर्कता से इलाज करने में लगा हुआ था।
ऐसा लगा हवा में घूम रही हो गाड़ी
हम सभी लोग वाहन में बैठकर फलदान चढ़ाने जा रहे थे। गाड़ी रफ्तार में थी। अचानक टायर फटा और ऐसा लगा कि गाड़ी हवा में घूम रही है। फिर पलट गई। मै गाड़ी से दूर गिरा। आंखे खुली तो देखा चीख-पुकार मची हुई है। आस-पास के लोगों ने आकर हमारी मदद की। फिर एंबुलेंस से अस्पताल भिजवाया।
(जैसा कि मुकेश के भाई जगदीश ने पत्रिका को बताया)