धर्म के मार्ग पर चलने की सीख देते हैं संत
- मुनिश्री ज्ञेय सागर महाराज ने मंगल प्रवेश के दौरान कहा

ग्वालियर. भारतीय संस्कृति में माता-पिता की आज्ञा के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने के कई उदाहरण है। माता-पिता अपने बुजुर्गों की सेवा कर नई पीढ़ी में संस्कार दें। मंदिर तो बहुत हो गए लेकिन मंदिर में पुजारियों को लाना है। संत ही युवा पीढ़ी को सद्मार्ग और संस्कारवान बनाते हैं। समाज में बदलाव की शुरुआत हर आदमी को अपने घर से करना होगी। यह विचार ज्ञेय सागर महाराज ने शनिवार को मुरार स्थित बड़ा जैन मंदिर में मंगल प्रवेश के दौरान धर्मसभा में व्यक्त किए। मुनिश्री ने आगे कहा कि युवा पीढ़ी माता-पिता की बातों पर ध्यान नहीं देती हैं। बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए माता-पिता को खुद आदर्श बनना होगा। उन्होंने माता पिता की आज्ञा मानने के मामले में भगवान श्रीराम के उदाहरण को सामने रखा। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को भगवान श्रीराम के आदर्शों को अपनाना चाहिए।
सोनागिर से पद विहार कर ग्वालियर पहुंचे
सोनागिर से पद विहार कर मुनि ज्ञेय सागर ने शनिवार को मुरार में गाजे-बाजे के साथ मंगल प्रवेश किया। मुनिश्री का जैन समाज ने जगह-जगह पादप्रक्षालन व आरती उतारकर अभिनंदन किया। दोपहर में उनका मंगल विहार मुरैना के लिए हुआ। उन्होंने रात्रि विश्राम रायरू जैन मंदिर पर किया।
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