डोनर का हमारे फेसबुक पेज पर मैसेज आता है या कॉल आता है। हम उसे अटेंड कर उनके घर पहुंचते हैं और चप्पल कलेक्ट करते हैं। फिर हफ्ते में एक दिन डिसाइड कर हमारी टीम स्लम एरिया में जाकर बच्चों एवं बुजुर्गों को चप्पल पहनाती है।
आयुष जैन बैद ने बताया कि मलिन बस्तियों और शासकीय विद्यालयों में भरी गर्मी में बच्चों को बिना चप्पल के देख मैंने अपनी मां मीना बैद से इसकी चर्चा की, तब यह आइडिया दिमाग में आया कि हम चप्पल बैंक की शुरुआत करते हैं।