script8 हजार बच्चों को पहनाई चप्पल, मिला लिम्का बुक का मुकुट | Sandals worn for 8 thousand children, crown of Limca Book | Patrika News

8 हजार बच्चों को पहनाई चप्पल, मिला लिम्का बुक का मुकुट

locationग्वालियरPublished: Jul 22, 2019 08:05:39 pm

आज के समय में जहां लोग खुद के आगे बढऩे की उधेड़बुन में उलझे हुए हैं, वहीं शहर का मानवता ग्रुप दूसरों की मुस्कान में अपनी खुशी तलाश रहा है। उन्होंने ढाई साल पहले 47 डिग्री टेम्प्रेचर में स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को नंगे पैर को जलते देख चप्पल

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8 हजार बच्चों को पहनाई चप्पल, मिला लिम्का बुक का मुकुट

ग्वालियर. आज के समय में जहां लोग खुद के आगे बढऩे की उधेड़बुन में उलझे हुए हैं, वहीं शहर का मानवता ग्रुप दूसरों की मुस्कान में अपनी खुशी तलाश रहा है। उन्होंने ढाई साल पहले 47 डिग्री टेम्प्रेचर में स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को नंगे पैर को जलते देख चप्पल बैंक की शुरुआत की। एक साल में ही उन्होंने मलिन बस्ती में रहने वाले 2 हजार लोगों को चप्पल पहनाईं। यह यूनिक आइडिया सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल हुआ और मानवता ग्रुप का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने पूरी पड़ताल के बाद दर्ज किया। रविवार को यह सर्टिफिकेट मानवता टीम के फाउंडर आयुष जैन बैद को मिला। उन्होंने बताया हमने चप्पल बैंक की शुरुआत 25 मई 2017 को की।इन दो साल में हमने लगभग 8 हजार लोगों तक चप्पलें पहुंचाई है।
25 लोगों की टीम: मानवता ग्रुप चप्पल बैंक के साथ ही बीइंग रक्षक गल्र्स सेफ्टी ग्रुप, मानवता मिशन एजुकेशन, मिशन एडमिशन, ओरल हेल्थ अवेयरनेस मिशन, नो स्मोकिंग अवेयरनेस कैंपेन पर काम कर रहे हैं।
कैसे काम करता है चप्पल बैंक
डोनर का हमारे फेसबुक पेज पर मैसेज आता है या कॉल आता है। हम उसे अटेंड कर उनके घर पहुंचते हैं और चप्पल कलेक्ट करते हैं। फिर हफ्ते में एक दिन डिसाइड कर हमारी टीम स्लम एरिया में जाकर बच्चों एवं बुजुर्गों को चप्पल पहनाती है।
आइडिया कैसेे आया और इसकी शुरुआत कहां से हुई?
आयुष जैन बैद ने बताया कि मलिन बस्तियों और शासकीय विद्यालयों में भरी गर्मी में बच्चों को बिना चप्पल के देख मैंने अपनी मां मीना बैद से इसकी चर्चा की, तब यह आइडिया दिमाग में आया कि हम चप्पल बैंक की शुरुआत करते हैं।

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