समारोह में संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर एवं ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर सहित अन्य अतिथियों ने पं. सतीशव्यास को राष्ट्रीय तानसेन सम्मान के रूप में दो लाख रूपए की आयकर मुक्त सम्मान राशि, प्रशस्ति पट्टिका व शाल-श्रीफल भेंटकिए। पं. सतीश व्यास जी शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य गायक पद्मभूषण पंडित सीआरव्यास के सुपुत्र हैं। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संगीत सम्राट तानसेन के नाम से स्थापितयह सम्मान भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय संगीत सम्मान है। राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान के रूप में अभिनव कला परिषद को एक लाख रूपएकी आयकर-मुक्त राशि और प्रशस्ति पट्टिका भेंट कर सम्मानित किया गया। अभिनव कलापरिषद संस्था के सचिव पं. सुरेश तांतेड ने यह सम्मान ग्रहण किया।
राग मधुवंती में संतूर से झरे मीठे-मीठे सुर
तानसेन समारोह की पहली संगीत सभा केप्रथम कलाकार के रूप में तानसेन सम्मान से अलंकृत विश्व विख्यात संतूर वादक पं सतीशव्यास ने संतूर वादन प्रस्तुत किया। उनके संतूर वादन से झर रहे मीठे-मीठे सुरों सेसंगीत रसिक सराबोर हो गए । पं शिवकुमार शर्मा के सुयोग्य शिष्य पं सतीश जी ने अपने संतूरवादन की शुरूआत राग मधुवंती से की। उन्होंने पहली विलंबित रचना झपताल में पेशकी और इसके बाद मध्य लय तीन ताल और द्रुत तीन ताल में संतूर वादन किया। सुंदर और मधुर आलापचारी जोड़ झाला की प्रस्तुति के बाद उन्होंने विलंबित गत ताल पेश कर समा बांध दिया।सुमधुर संतूर वादन को सुनकर रसिक वाह-वाह कहने को मजबूर हो गए।