सितार वादन में एक धुन से समापन दूसरी प्रस्तुति मंदार नामजोशी के सितार वादन की रही। उनके साथ तबले पर वैभव धुमाल ने संगत की। आलाप जोड़ से प्रारम्भ कर झाला बजाया, जो कि ताल तीन ताल (राग यमन) में निबद्ध था। अंत में एक धुन से समापन किया। तीसरी प्रस्तुति जयश्री एस पाटिल के शास्त्रीय गायन की रही। उन्होंने प्रारम्भ ‘कैसी करत बरजोरी विलम्बित बड़ा ख्याल से किया। तत्पश्चात् छोटा ख्याल ‘गुनिजन आए मंदरवा सुनाया, जो कि ताल तीलताल में निबद्ध था। यह राग मधुकौंस में रचित था।
देर शाम तक बही सुर सरिता अंतिम प्रस्तुति डॉ. कुणाल इंगले के शास्त्रीय गायन की रही। उनके साथ तबले पर अभय दातार एवं हारमोनियम पर मंदार रूप ने संगत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने राग मिया की तोड़ी में बड़ा ख्याल प्रस्तुत किया, जो कि ताल एक ताल में निबद्ध था, जिसके बोल थे अब मोरे राम। छोटा ख्याल ताल तीन ताल में सुनाया लंगर का करिमा जिन मारो। अंत में भजन ‘कोई कहियो रे प्रभु से आवन की से कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य माधव संगीत महाविद्यालय पीआर खराड़कर ने की। विशेष रूप से परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुनील पावगी, कुलसचिव अजय शर्मा, डॉ. रंजना टोणपे, डॉ. अंजना झा, विकास विपट आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पारुल दीक्षित ने किया।