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ग्वालियर

यहां लगती है महादेव की अदालत, दरबार में झूठी कसम खाने से डरते हैं लोग

महादेव करते हैं यहां न्याय, झूठ बोला तो होता है तांडव

ग्वालियरJul 18, 2022 / 01:58 pm

Astha Awasthi

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sawan month

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल संभाग के शिवालयों में गिरगांव स्थित महादेव का मंदिर अपने आप में ही अनूठा है। कहने को ये मंदिर शहर से करीब 16 किलोमीटर दूर महाराजपुरा से लगे भिंड रोड से दो किलोमीटर अंदर गिरंगाव गांव में है, पर इस मंदिर को इंसाफ के लिए जाना जाता है। इस शिवालय में आने वाले लोग महादेव की झूठी कसम खाने से डरते हैं। यहां सभी मामलों का फैसला मात्र आठ दिनों में ही हो जाता है।

सभी पक्षों को खानी पड़ती है कसम

गिरगांव के महादेव मंदिर में न्याय की आस में लोग न सिर्फ शहर से बल्कि दूसरे प्रदेशों से भी आते हैं। इस मंदिर में पंचों द्वारा सभी पक्षों को महादेव की कसम दिलाई जाती है व मामलों की संगीनता के आधार पर अधिकतम आठ दिनों का समय दिया जाता है। जिसमें अनहोनी व दुर्घटनाओं के आधार पर संदेही को दोषी माना जाता है और इनके न घटने पर उसे निर्दोष मान लिया जाता है। बिना कोर्ट की लंबी तारीखों के लोगों का उक्त व्यवस्था पर अटूट विश्वास है। कहा जाता है कि यहां आठ दिन में फैसला होता है। शहर से 16 किमी दूर भिंड रोड के पास गिरगांव में ये शिव मंदिर बना हुआ है।

न्याय के लिए जाने जाते हैं गिरगांव के महादेव

गिरगांव के महादेव के इस प्राचीन मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि ये शिवलिंग स्वयं-भू है और करीब 1000 साल पुराना है। इस मंदिर का गुर्जर समाज में बहुत महत्व है। गुर्जर समाज के लोगों में गिरगांव के महादेव में इतनी गहरी आस्था है कि यहां खाई गई कसम को कोई भी झूठा करार नहीं दे सकता। यहां धर्म न्याय की परंपरा भी उतनी ही पुरानी है। किसी भी मामले के निराकरण के लिए महादेव मंदिर में दोनों ही पक्षों के पंचो से निर्णय करने का आग्रह किया जाता है। जिसमें सभी प्रकार के मामलों का निराकरण पंचों व पक्षों की सहमति पर किया जाता है। मंदिर में महिलाओं से कसम नहीं खिलाई जाती है।

शिवरात्रि पर लगती है भगवान की कचहरी

गिरगांव के इस मंदिर में विशाल मेले का आयोजन होता है। इसके साथ ही यहां महादेव की कचहरी लगती है। बकायदा यहां पंच बैठते हैं और मामलों को सुना जाता है। दोनो पक्षों के द्वारा दलीलें प्रस्तुत की जाती हैं। आखिर में भगवान महादेव न्यायमूर्ति बनकर अपना फैसला सुनाते हैं। महादेव की ओर से पंचों द्वारा सुनाया गया ये फैसला ही लोगों के लिए आखिरी होता है। इस मंदिर की मान्यता ऐसी है कि इसे फैसले के बाद कभी कोई कहीं अपील नहीं करता है।

एक हजार से ज्यादा मामलों में फैसला सुना चुके हैं भोलेनाथ

मंदिर से जुड़े लोग और गांववासी बताते हैं कि यहां सोमवार को भव्य पूजा की जाती है और महादेव की अदालत लगती है। कोई भी व्यक्ति जब भी चाहे महादेव की कचहरी में अपील कर सकता है। बताया जाता है कि लोगों की इस मंदिर के प्रति आस्था बहुत गहरी है,इसलिए लोग अपने झगड़े लेकर महादेव के पास आते हैं। यहां अभी तक महादेव 1000 से ज्यादा फैसले सुना चुके हैं। हर महाशिवरात्री को यहां बड़ी अदालत लगती है और भारी संख्या में लोग यहां दर्शन करने आते है।

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