शहर में पूरे दिन शांति रही, मोहल्ले और कॉलोनियों की कुछ दुकानें, सब्जी, सडक़ों पर चाय के ठेले आदि को छोडकऱ लगभग सभी जगह बाजार बंद रहा। 11 सितंबर तक धारा-144 को प्रभावी रखा जाएगा। सोशल मीडिया पर अपील और चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा व्यवसाइयों से किए गए अनुरोध के बाद प्रतिष्ठान बंद करके व्यवसाई या तो अपने घर में रहे या फिर बाहर बैठकर 2 अप्रैल को बंद के दौरान हुई तोडफ़ोड़, हिंसा और 10 अप्रैल को हुए बंद को लेकर चर्चा करते रहे।
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प्रतिनिधि बोले, बिना हिंसा भी हो सकता है बंद
शाम के समय फूलबाग, बारादरी, गोले का मंदिर, थाटीपुर आदि जगह पर सवर्ण-ओबीसी वर्ग के प्रतिनिधि टुकडिय़ों में इक_े हुए। सभी ने कहा कि शहर ने यह संदेश दिया है कि सहमति और सौहार्द से अपील की जाए तो लाठी, डंडों और हिंसा का सहारा लिए बिना भी बंद हो सकता है।
झूठी खबर पर दौड़े
रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ और जीआरपी सुबह से ही स्टेशन पर तैनात हो गई। सुबह 10.30 बजे के आसपास आरपीएफ को सूचना मिली कि मुरार स्थित रेलवे के टिकट काउंटर पर कुछ लोग हंगामा कर रहे हंै। इस पर टीआइ, एसआइ और अन्य स्टाफ मौके पर पहुंचा तो वहां पर कोई भी उपद्रवी नहीं था और बुकिंग क्लर्क ने टिकट विंडो को भी बंद कर दिया था। इसके बाद आरपीएफ की टीम बिरला नगर स्टेशन पर सर्र्चिंग करती रही।
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सुबह से पहरे में रहा शहर, गूंजते रहे पुलिस वाहनों के हूटर
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में गुरुवार को शहर पुलिस के पहरे में बंद रहा। सुबह पांच बजे से फोर्स फील्ड में उतार दिया गया। दरअसल खुटका था कि दो अप्रैल को बंद के दौरान हिंसा हुई थी, उसका बदला गुरुवार को बंद में निकला जा सकता है। इसलिए करीब 1200 से ज्यादा जवानों को बंद समर्थकों पर नजर रखने के लिए डयूटी में लगाया गया। इस बार भी पुलिस का फोकस सबसे ज्यादा कुम्हरपुरा, भीमनगर, 60 फुटा रोड के अलावा मुरार, सिरोल और गोला का मंदिर पर रहा। सबसे ज्यादा फोर्स कुम्हरपुरा पर ही तैनात किया गया था। कुम्हरपुरा चौराहे पर नाश्ते की दुकानों पर लोगों की भीड़ जमा हो गई।