नगर निगम के भवन अधिकारी उपयंत्री प्रदीप वर्मा के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच कर रही है। उसने वर्मा के खिलाफ प्रकरण क्रमांक 181/2012 में तथा किशोरकांत त्यागी प्रकरण क्रमांक 482/2008/3/3 बिरला हॉस्पिटल का प्रकरण एवं गोसपुरा ग्वालियर के सर्वे क्रमांक-2098 एवं 2202 की जमीन पर दीपक जैन द्वारा निर्मित अवैध कॉलोनी से संबंधित प्रकरण में दस्तावेज चाहे थे, लेकिन वह नहीं मिले। होटल लैंडमार्क व सालासर के भवन निर्माण की मंजूरी के संबंध में दस्तावेज कार्यालय में उपलब्ध ही नहीं है। इस पर निगम आयुक्त के आदेश पर सहायक यंत्री प्रदीप सिंह जादौन ने निगम से दस्तावेज गायब होने के संबंध में एफआइआर दर्ज कराने के लिए पुलिस थाना विश्वविद्यालय को 28 मई 19 को पत्र लिखा था। इस मामले की जांच रिपोर्ट भी पहले भेजी जा चुकी है, इसके बाद भी वर्मा के खिलाफ एफआइआर नहीं की गई।
तीनों ने बिल्डरों को अवैध तरीके से लाभ पहुंचाया
तत्कालीन भवन निरीक्षक अवधेश तोमर, तत्कालीन भवन अधिकारी प्रदीप वर्मा एवं कार्यपालन यंत्री एपीएस जादौन ने अवैध तरीके से बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। ग्राम अलीपुर में अन्नपूर्णा गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित द्वारा बिल्डर को 25 प्रतिशत बंधक भूखंडों के संबंध में असत्य तरीके अपूर्ण विकास की जानकारी दी गई। इस मामले में समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र उपाध्याय तथा बिल्डर को लाभ पहुंचाने के मामले में इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई के लिए आयुक्त के निर्देश पर फरवरी-2019 में थाना प्रभारी को पत्र लिखा गया था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई है। इन अधिकारियों ने बंधक मुक्ति से पूर्व विकास कार्यों के पूर्ण होने के संबंध में नोटशीट तैयार की थी। जबकि ये प्लॉट विकास कार्य पूर्ण होने तक बंधक किए गए थे। इसका पंजीयन कार्यालय में 4 जून 10 को पंजीयन भी किया गया था। इस प्रकार इन अधिकारियों ने बड़े बिल्डरों को अवैध तरीके से लाभ पहुंचाया था। षडयंत्र पूर्वक गलत जानकारी देकर इन अधिकारियों द्वारा किए गए फर्जीवाड़े की फाइलें निगम से गायब कर दी गई हैं। इसकी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्ही अधिकारियों ने यह फाइलें गायब कराई हैं, इसलिए इन अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए।
जिसमें फर्जीवाड़ा उसकी फाइल गायब
नगर निगम में जो मामला विवादित होता है और जिसमें फर्जीवाड़ा होता है, उसकी फाइल ही गायब हो जाती है। दस्तावेज गायब करने वालों के खिलाफ न तो विभागीय स्तर पर, न पुलिस द्वारा पत्र लिखे जाने के बावजूद कार्रवाई की जाती है। यह मामला लोकायुक्त पुलिस में भी कछुआ की गति से चल रहा है।
तलघर मामले में गोलमाल
अवैध तलघरों के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश देने के बाद अधिकारियों को उन तलघरों की फाइलें भी नहीं मिल रही हैं, जिसमें उनके द्वारा नियम विरुद्ध तलघरों को बनने दिया है। निगम लगातार इस मामले को टाल रही है, लेकिन उच्च न्यायालय ने पिछली सुनवाई पर स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि अगली सुनवाई पर सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उसकी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें।
मुझे जानकारी नहीं है
नगर निगम आयुक्त के पत्र आने की जानकारी मेरे पास नहीं है। अगर ऐसा है तो इसे दिखवाकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
रामनरेश यादव, टीआइ विवि