इन सब बातों का खुलासा आरटीआइ के जरिए हुआ है। इस संबंध में पत्रिका ने नापतौल विभाग के नियंत्रक एसके जैन और उप नियंत्रक केके भावसार से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया। हालांकि विभाग के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि अधिकारियों से चर्चा करके मामले का निराकरण करेंगे।
ये काम आती हैं गाडिय़ां
भारत सरकार से 2008 में इन दोनों गाडिय़ों को खरीदा गया था। 50 टन की एक हाइड्रोलिक क्रेन गाड़ी का उपयोग धर्मकांटों की जांच-पड़ताल में होता है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश भर में करीब 10 हजार से अधिक धर्मकांटे हैंं। इस गाड़ी से धर्मकांटे की जांच के लिए विभाग के इन्स्पेक्टर को वेरीफिकेशन करने भेजना चाहिए जिसकी सरकारी फीस तीन हजार रुपए है। इस गाड़ी में चार-चार टन के बांट भी हैं जिन्हें क्रेन की मदद से धर्मकांटे पर रखकर जांच की जाती है।
उज्जैन में हुआ दो बार उपयोग, 6 हजार कमाए
आरटीआइ के जरिए धर्मकांटों की जांच के लिए जो वाहन आए थे उनकी कीमत एवं संख्या का विवरण, उन वाहनों से 15 जून 2019 तक कितनी जांच की कार्यवाही हुई और वाहनों के रखरखाव पर 15 जून तक कितना व्यय हुआ एवं आमदनी का विवरण मांगी गयी थी। इन सभी प्रश्नों के जवाब में सिर्फ उज्जैन के रेकॉर्ड में वाहन से दो बार जांच और 6 हजार रुपए की आमदनी दर्शायी गयी है। बाकी जबलपुर, शाजापुर, बडनग़र, शहडोल, छिंदवाड़ा, आगर, कन्नोद जिला देवास, होशंगाबाद आदि जगहों से जानकारी को निरंक बताया गया है।
पता करवाता हूं
आपके जरिए ये मामला मेरे संज्ञान में आया है। नापतौल विभाग के अधिकारियों से चर्चा करके इनके बारे में पता करवाता हूं। मामला काफी गंभीर है।
प्रद्युम्न सिंह तोमर, खाद्य मंत्री