परिणामस्वरूप 18 लाख 38 हजार 235 की जनसंख्या वाले जिले के अधिकांश ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में कुपोषण की स्थिति भी लगातार बढ़ती जा रही है। स्थिति यह है पोषण आहार में अनियमितताओं की बीते एक साल में ही 20 से अधिक शिकायतें हो चुकी हैं, लेकिन राजनीतिक संरक्षण होने के कारण अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
पोषण आहार पर खर्च
2 रुपए प्रति बच्चे के हिसाब से हर दिन का खर्च 3 लाख 37 हजार 24 रुपए
1 महीने में यह खर्च 1 करोड़ 1 लाख 16 हजार 720 रुपए
1 साल में यह खर्च 12 करोड़ 30 लाख 86 हजार 760 रुपए
इस तरह होती हैं अनियमितताएं
आहार भेजने वाले ट्रांसपोर्टर कार्यकर्ता, सुपरवाइजर और सीडीपीओ से सेटिंग
ठेकेदार सब्जी बढ़ाने पानी डालते हैं। 100 ग्राम आटे में एक की जगह दो बच्चों को पूड़ी
दर्ज बच्चों का एक चौथाई खाना भेजा जाता है, कार्यकर्ता से 70-80 फीसदी हाजिरी ले लेते हैं
* विभागीय सूत्रों की मानें तो हर महीने लगभग 1 करोड़ के कारोबार में से लगभग 9 लाख रुपए सुविधा शुल्क के रूप में बांटा जाता है।
* पांच से छह समूहों के नाम पर खाने का ठेका लेकर ठेकेदार अपना कारोबार कर रहे हैं। अधिकतर ठेकेदार समूह संचालकों को बहुत ही छोटी सी रकम देकर लाखों रुपए अपनी जेब में डाल रहे हैं।
* गड़बड़ी पकड़ में आने पर ठेकेदार साफ बच जाते हैं और पूरी कार्रवाई गोलमाल से अंजान समूह संचालकों पर होती है।
आंगनबाडि़यों पर दर्ज बच्चे (पोषण आहार के लिए)
भितरवार क्षेत्र : 21786 बच्चे
डबरा क्षेत्र : 29476 बच्चे
गिर्द (ग्वालियर) क्षेत्र : 23 426 बच्चे
ग्वालियर शहर-1 क्षेत्र : 17500 बच्चे
ग्वालियर शहर-2 क्षेत्र : 13500 बच्चे
ग्वालियर शहर-3 क्षेत्र : 15746 बच्चे
ग्वालियर शहर-4 क्षेत्र : 12204 बच्चे
ग्वालियर शहर-5 क्षेत्र : 16907 बच्चे
मुरार क्षेत्र 18071 बच्चे