ग्वालियर

अमृत योजना में घोटाला: काम पूरा नहीं होने पर लगनी थी पेनल्टी, लेकिन 11 करोड़ का भुगतान कर दिया

इसमें करीब 50 लाख रुपए का घोटाला हुआ है, जिसका खुलासा अमृत योजना के नोडल अधिकारी अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य द्वारा शासन को लिखे पत्र से हुआ है

ग्वालियरJan 06, 2019 / 07:32 pm

Rahul rai

अमृत योजना में घोटाला: काम पूरा नहीं होने पर लगनी थी पेनल्टी, लेकिन 11 करोड़ का भुगतान कर दिया

ग्वालियर। अमृत योजना का हाल भी एडीबी प्रोजेक्ट जैसा होते दिख रहा है। इसमें समय पर काम पूरा न होने पर ठेकेदार पर पेनल्टी लगाने की बजाय उसे 11 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया। अनुबंध की शर्तों के तहत प्रथम चरण में 6 माह में 12 प्रतिशत और 12 माह में 37 प्रतिशत कार्य होना था, लेकिन एक साल में 25 प्रतिशत कार्य भी पूरा नहीं किया गया।
 

अनुबंध के तहत 6 माह में 12 प्रतिशत कार्य पूरा होने पर ही भुगतान किया जाना था। अगर ठेकेदार को राशि की जरूरत है तो वह निगम से 10.50 प्रतिशत बैंक ब्याज दर पर एडवांस ले सकता था, लेकिन बैंक ब्याज पर राशि देने की जगह अधूरे कार्यों पर ही भुगतान कर दिया गया, जिससे अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन हुआ।
 

इसमें करीब 50 लाख रुपए का घोटाला हुआ है, जिसका खुलासा अमृत योजना के नोडल अधिकारी अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य द्वारा शासन को लिखे पत्र से हुआ है, इसके बाद निगम के गलियारों में हडक़ंप मच गया है।
 

फैक्ट फाइल
-अनुबंध क्रमंक-970
-अनुबंध दिनांक-28 सितंबर 2017
-अनुबंध में 37 प्रतिशत काम 12 माह में पूरा करना था।
-11 माह बाद भी 25 प्रतिशत से अधिक कार्य नहीं हो पाया।
-अनुबंध के तहत पीडीएमसी द्वारा ठेकेदार के विरुद्ध कोई कार्रवाई न करते हुए अपूर्ण कार्य का भुगतान ठेकेदार को करने की अनुशंसा की गई।

ऐसे होना था काम
-प्रथम चरण में- 6 माह में 12 प्रतिशत काम होना था।
द्वितीय चरण में -12 माह में 37 प्रतिशत काम होना था।
तृतीय चरण में- 18 माह में 75 प्रतिशत काम होना था।
चतुर्थ चरण मेंं- 24 माह में 100 प्रतिशत काम पूरा होना था।
 

केस-1 यहां वसूल रहे ब्याज
पानी का काम करने वाली फर्म कंक्रीट उद्योग ने निगम से कार्य करने के लिए करीब 1 करोड़ रुपए एडवांस लिए, जिस पर निगम ने बैंक ब्याज दर 10.50 प्रतिशत पर राशि मुहैया कराई, जिसका भुगतान ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है।

केस-2 बिना ब्याज दी राशि
एन विराड कंपनी को सीवर का कार्य 12 माह में 37 प्रतिशत 64 करोड़ रुपए से अधिक का करना था। अनुबंध की शर्तों के तहत प्रथम चरण में 20 करोड़ से अधिक का कार्य 6 माह में करना था, और प्रथम चरण में पूरी राशि का भुगतान किया जाना था, किन्तु तय समय में कार्य न होने से ठेकेदार की राशि को रोका जाना था, लेकिन ठेकेदार को शर्तों के विपरीत 11 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। अगर यह राशि ठेकेदार को एडवांस के रूप में दी जाती तो निगम उक्त राशि में करीब 1 करोड़ रुपए बतौर पेनल्टी रोक लेता और 10 करोड़ पर बैंक ब्याज 10.50 प्रतिशत की दर से राशि मिलती, जो करीब 40 लाख से अधिक होती। रोकी गई एक करोड़ की राशि पर भी बैंक ब्याज मिलता, और निगम को मिलने वाली कुल राशि 50 लाख से अधिक होती, लेकिन ठेकेदार को ब्याज पर राशि देने की जगह निगम हितों को दरकिनार कर ठेकेदार को भुगतान करने की बात कही गई है।
 

इन्हें करना था चेक
शासन की योजना में सरकारी पैसों का दुरुपयोग न हो, इसके लिए नगर निगम में लेखा विभाग और आरएडी की व्यवस्था है, लेकिन दोनों ही विभाग अनुबंध की शर्तों के विपरीत होने वाले भुगतान पर चुप्पी साधे रहे, जिससे अमृत योजना की सफलता और निगम के खजाने की चौकसी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
 

घोटाले की योजना
शुरू से ही यह योजना विवादों में रही है। हो सकता है कि चुनाव से पूर्व किया गया यह भुगतान भाजपा नेताओं को चुनावी फंड मुहैया कराने के दबाव में किया गया हो। हम इस मामले की जांच कराएंगे।
कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम
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