उल्लेखनीय है कि शासन के निर्देशों के बाद फरवरी माह में शिवपुरी में गोशाला प्रारंभ की गई थी। इस गोशाला में सड़कों पर विचरण करने वाले आवारा गोवंश को रखकर उनकी देखभाल और इलाज करना है। गोशाला का संचालन नगर पालिका व पशु पालन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। गोशाला में मवेशियों को भूसा, पानी व हरे चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए, जो कि यहां नहीं है। पत्रिका को इस बात की जानकारी मिली कि महीनों से मवेशियों को सिर्फ कागजों में ही हरा चारा खिलाया जा रहा है। इसके बाद टीम ने जब गोशाला पहुंचकर इस बात की पड़ताल की तो पायाकि पिछले करीब दो माह से अधिक समय से मवेशियों को हरा चारा नहीं दिया गया है। गौ-शाला में कहीं हरे चारे का नामो निशान नजर नहीं आया।
इस बात की पुष्टि के लिए ठेकेदार श्रीलाल कुशवाह से बात की तो उनका कहना था कि उन्हें सिर्फ भूसे का ठेका दिया गया है, परंतु हम मवेशियों को हरा चारा देते हैं जिसका कोई पैसा हम नहीं लेते। आखिर में जब नपा के आरआई पूरन कुशवाह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि श्रीलाल कुशवाह को ऑनलाइन टेंडर के माध्यम से भूसे का ठेका दिया गया है। मवेशियों को हरा चारा तो हम जेब से व लोगों के सहयोग से खिला रहे हैं, जिसका कोई हिसाब नहीं रखा जाता है।
फैक्ट फाइल
नहीं खा रहीं सूखा भूसा, हो रही मौतें
वेटनरी डिपार्टमेंट से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि गायों को पेट भरने के लिए गोशाला में सिर्फ सूखा भूसा खिला रहे हैं, इस कारण गाय उसे नहीं खा रही हैं और वह भूखी भी रह जाती हैं। इस संबंध में जब कुछ पशु पालकों से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि कोई भी मवेशी सिर्फ सूखा भूसा अकेला नहीं खा सकता है। यही कारण है कि भूसे की सानी बनाई जाती है या फिर उसमें हरा चारा काटकर मिलाया जाता है, ताकि मवेशी उसे खा सकें। अकेला भूसा न खाने पाने के कारण कई गाय भूखी रह कर भी मौत के आगोश में समा जाती हैं। पूर्व में हुई कई मौतों पर इस बात को विभाग के डॉक्टर स्वीकार भी कर चुके हैं कि आवारा गाय बाहर पॉलीथिन खाने के बाद यहां भूसा नहीं खा रही हैं अथवा उसे पचा नहीं पा रही हैं। इस वजह से यह मौत हो रही हैं। वहीं इस पूरे मामले में जब विभाग के विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी ली लई तो उन्होंने बताया कि जब से गो-शाला खुली है, तब से अब तक करीब दौ सैकड़ा से अधिक गाय मर चुकी हैं, परंतु रजिस्टर आदि बाद में मेंटेन किए गए हैं। इस कारण उसमें संख्या कुछ कम हो सकती है, लेकिन रजिस्टर में भी डेढ़ सैकड़ा के आस पास मृत गाय दर्ज हैं।
मुझे जो ठेका दिया गया है उसके अनुसार मुझे चने अथवा गेहूं के भूसे की सप्लाई करना है। इसके बावजूद हम घास भी देते हैं, जिसका कोई पैसा हम नहीं लेते हैं।
श्रीलाल कुशवाह, भूसा ठेकेदार
हमसे भूसे का ठेका करने के लिए कहा गया था, हम आवश्यकता के अनुसार ठेकेदार से भूसा ले लेते हैं। हर रोज एक गाय के लिए कम से कम 5 किलो भूसे का प्रावधान है। एक साल में हम ठेकेदार को दस लाख का भुगतान करेंगे। हरा चारा तो हम लोगों से दान ले रहे हैं।
पूरन कुशवाह, आरआई नपा