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सिंधिया के बदलाव से बदल न जाए महानाट्य की स्क्रिप्ट, रानी लक्ष्मीबाई की शहादत का जिम्मेदार सिंधिया परिवार

locationग्वालियरPublished: Mar 14, 2020 10:35:01 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

जाणता राजा की तरह भव्य नाट्य के देशभर में हो चुके 150 मंचन

सिंधिया के बदलाव से बदल न जाए महानाट्य की स्क्रिप्ट, रानी लक्ष्मीबाई की शहादत का जिम्मेदार सिंधिया परिवार

सिंधिया के बदलाव से बदल न जाए महानाट्य की स्क्रिप्ट, रानी लक्ष्मीबाई की शहादत का जिम्मेदार सिंधिया परिवार


ग्वालियर
प्रदेश में राजनीतिक परिवर्तन आया है। सिंधिया घराने के ज्योतिरादित्य कांग्रेस छोड़ भाजपा के साथ हो गए हैं। इससे न केवल सियासत पर असर होगा, बल्कि साहित्य और कला का क्षेत्र भी अछूता नहीं रहेगा। ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस 18 जून को 14 वर्षों से आयोजित हो रहे महानाट्य खूब लड़ी मर्दानी की स्क्रिप्ट बदलने के भी आसार हैं। रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल के सामने भव्य मंच से नाटक का मंचन किया जाता है। इसके दृश्य के मुताबिक अगर सिंधिया राजपरिवार रानी लक्ष्मीबाई का साथ देता तो उनकी शहादत नहीं होती। इस बात की मंच से बकायदा घोषणा भी की जाती है और शब्द विशेष का संबोधन भी होता है।
सुभद्रा कुमारी की कविता पर आधारित
इस महानाट्य की स्क्रिप्ट सुभद्राकुमारी चौहान की कविता खूब लड़ी मर्दानी पर तैयार की गई है। आयोजकों की मानें तो मराठी साहित्य में भी इसका उल्लेख मिलता है।

शुरू कराई बलिदान दिवस की परंपरा
यह नाटक भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के लक्ष्मीबाई बलिदान मेला समिति की ओर से हर साल किया जाता है। इसमें वंदेमातरम समूह के कलाकरों द्वारा मंचन होता है। नाटक के लेखक और निर्देशक चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार हैं। रानी लक्ष्मीबाई के अस्त्र-शस्त्र की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है।
महानाट्य में शामिल होते हैं ऊंट, घोड़े, बैलगाड़ी और रथ
एक घंटे 10 मिनट के महानाट्य में घोड़े,ऊंट, बैलगाड़ी, रथ, 15 हाइड्रोलिक मंच सहित 300 से अधिक कलाकार मंच पर उतरते हैं। 15 मंचों पर लाइव परफॉर्मेंस होती है।
महानाट्य सुभद्रा कुमारी की कविता को बेस बनाकर तैयार किया गया है। इतिहास में ंिसधिया परिवार के लिए विशेष शब्द का उल्लेख होता है।
चंद्रप्रताप सिंह सिकरवार, लेखक-निर्देशक

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