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VIDEO: शिक्षा के लिए जान जोखिम में, ट्यूब के सहारे नदी पार कर बच्चे जा रहे स्कूल

locationग्वालियरPublished: Sep 14, 2019 03:37:48 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

school students cross river on tyre tube: इसलिए परिजन गुना जिले के सनवारा गांव के अशासकीय नवीन विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजते हैं। स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चे हर दिन सुबह नदी किनारे ट्यूब पर गोद में बस्ता लेकर बैठते हैं। फिर गांव के युवक इस टृयूब को रस्सी पकडकऱ खींचते हुए दूसरे किनारे तक ले जाते हैं। नदी का पैरा 60 मीटर से अधिक है, जिसे यह बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पार करते हैं।

school students cross river on tyre tube

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संजीव जाट @ बदरवास

ग्राम पंचायत मुढ़ेरी के ग्राम नैनागिर में रहने वाले बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे है। पिछले चार महीने से ये बच्चे कूनो नदी को ट्यूब पर बैठकर पार कर स्कूल पहुंचते हैं और फिर पढ़ाई पूरी कर शाम को लौटते हैं। शिवपुरी जिले की मुढ़ेरी पंचायत के नैनागिर गांव की आबादी 1200 है, जिसमें एक शासकीय स्कूल है, लेकिन वो कभी-कभी खुलता है इसलिए शिक्षक भी नियमित नहीं आते।

इसलिए परिजन गुना जिले के सनवारा गांव के अशासकीय नवीन विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजते हैं। स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चे हर दिन सुबह नदी किनारे ट्यूब पर गोद में बस्ता लेकर बैठते हैं। फिर गांव के युवक इस टृयूब को रस्सी पकडकऱ खींचते हुए दूसरे किनारे तक ले जाते हैं। नदी का पैरा 60 मीटर से अधिक है, जिसे यह बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पार करते हैं।

डर तो लगता है, लेकिन पढ़ाई भी जरूरी है
शुक्रवार सुबह नदी पार करने की तैयारी में ट्यूब पर बैठे बच्चे अखिलेश पटेलिया, अमर सिंह, संकेत पटेलिया, दर्शन पटेलिया से जब पसंवाददाता पूछा कि क्या डर नहीं लगता क्या?, तो उन्होंने कहा, हमें इतनी चौड़ी नदी को पार करते समय डर तो लगता है, लेकिन पढ़ाई भी तो जरूरी है। यदि हम डरते रहे तो फिर पढ़ाई कैसे कर पाएंगे?। इस गांव के लगभग 50 बच्चे ऐसे ही नदी पार करके उस अशासकीय स्कूल में पढऩे जाते हैं।

तो फिर लगाना होगा 100 किमी का चक्कर
नैनागिर गांव से नदी पार करके कुछ ही दूरी पर गुना जिले के सनवारा गांव का अशासकीय स्कूल है। यदि बच्चे नदी पार करने की बजाय यदि सडक़ से होकर जाएंगे तो फिर बदरवास से होकर हाइवे से गुना और फिर वहां से सनवारा तक जाना पड़ेगा, जिसके चलते उन्हें सौ किमी का चक्कर लगाना पड़ेगा।

गांव के बच्चों को शिक्षित करना है। मजबूरी है, जान की परवाह किए बिना रोज ट्यूब पर बिठाकर उन्हें स्कूल पहुंचाते हैं। तब जाकर हबच्चे पढ़ाई कर पाते हैं।
भारता पटेलिया, पूर्व सरपंच

यदि बच्चे ट्यूब पर बैठकर नदी पार कर रहे है तो यह गंभीर मामला है, दिखवाता हूं कि ऐसा क्या कारण है। कोटवार को निर्देशित करूंगा की मौके पर तैनात रहे।
आशीष तिवारी, एसडीएम, कोलारस

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