हार्डवर्क और कुछ अलग करने की चाह में फर्श से अर्श तक पहुंचे मूर्तिकार प्रभात राय
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल कर चुके सम्मानित, 28 साल में बना चुके 1500 से अधिक मूर्तियां

ग्वालियर.
मन में यदि कुछ अलग करने की चाह हो, तो कोई भी परेशानी आपका रास्ता नहीं रोक सकती और आप बुलंदियों के उस शिखर तक पहुंच सकते हैं, जिसके आपने सपने संजोए थे। अपनी मेहनत और काबलियत के बल पर न सिर्फ आप अपनी पहचान बना सकते हैं, बल्कि देश-दुनिया में अपना व शहर का नाम रोशन कर सकते हैं। यहां बात हो रही है मूर्तिकला में ग्वालियर को पहचान दिलाने वाले मूर्तिकार प्रभात राय की। उन्होंने 20 रुपए रोज की दिहाड़ी से 28 साल पहले मूर्ति बनाने की शुरुआत की थी और आज वह एक साल में लगभग 3 करोड़ का काम कर रहे हैं। उनके द्वारा बनाई गईं मूर्ति केवल देश तक ही नहीं बल्कि विदेश में भी ग्वालियर का नाम रोशन कर रही हैं। उन्हें समय-समय पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मंत्री, सांसद व विधायक द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।
रोज 20 रुपए दिहाड़ी पर करते थे काम
मूर्तिकार प्रभात राय सभ्रांत परिवार से थे। केआरजी में टीचिंग के दौरान उन्हें प्यार हुआ और उन्होंने दोनों परिवारों के रजामंदी के बिना अपनी शादी कर ली। इस पर उन्हें परिवार से कोई सपोर्ट नहीं मिला। तब उन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत सनातन धर्म मंदिर में 20 रुपए दिहाड़ी पर काम करके की। वह वहंा मूर्ति बनाया करते थे और उनकी वाइफ सुनीता पेंटिंग करती थीं। उनके काम को देखकर क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष सावंत सिंह तोमर ने महाराणा प्रताप की मूर्ति बनवाई, जो गोले के मंदिर में स्थापित हुई। इसका उद्घाटन करने उस समय प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर आए और उन्होंने प्रभात की कला को देखकर सम्मानित किया। बस वहीं से सफलता का दौर शुरू हो गया।
फ्रांस सहित देशभर में लग चुकीं 15 हजार मूर्तियां
28 साल के अभी तक के सफर में प्रभात ने 1500 से अधिक मूर्तियां तैयार की है। उनके पास कई ऐसी मूर्तियां बनाई, जो विश्व में एकलौती हैं। साथ ही सबसे अधिक हाईट की भी हैं। इनमें इंदौर में स्थापित 66 फीट के श्रीहनुमान की मूर्ति गुजरात में स्थापित 11 मुखी शिवलिंग, फ्रांस में महाराणा रणजीत सिंह की मूर्ति आदि शामिल हैं।
फर्श से अर्श तक पहुंचे प्रभात
एक छोटे से कमरे और अकेले दम पर मूर्ति बनाने का काम शुरू करने वाले प्रभात के पास आज कई बीघा जमीन है और उसमें वह कारखाना संचालित कर रहे हैं। यहां 22 लोगों की टीम कॉन्टीन्यू मूर्ति बनाती है। उनके पास ऑर्डर की कोई कमी नहीं है। उन्हें चूज करना पड़ता है कि उन्हें कौन सा काम लेना है। अपनी काबिलियत के दम पर वह फर्श से अर्श तक पहुंचे।
11 टन के हैं शिवलिंग
गुजरात में स्थापित शिवलिंग 11 मुखी है, जो 11 टन के हैं। इसे स्वामी विद्यानंद ने तैयार कराया था। उन्हें शिवलिंग तैयार कराने का ड्रीम आया था, जिसकी तलाश में वह ग्वालियर आए और मैंने शिवलिंग तैयार किया।
6 साल में तैयार हुई 65 फीट के हनुमान
इंदौर में स्थापित अष्टधातु के 65 फीट हाइट के हनुमान मंदिर तैयार किया, जिनकी गदा की हाइट 45 फीट है। गदा का वजन 11 टन है। यह हनुमान जी की प्रतिमा पितृ पर्वत में लगाई गई है। इसे तैयार करने में छह साल का समय लगा। यह 11 करोड़ रुपए में तैयार हुई।
एक नजर में
मप्र के रतनगढ़ माता मंदिर में सिंगल पीस कॉस्टिंग का घंटा, 36 फीट के राजा भोजपाल, 32 फीट के कमलापति, उप्र में 31 फीट के पाŸवनाथ, पंजाब में वाल्मीकि, अली सिंह, कर्नाटका के वाल्मीकि, दिल्ली में रानी अवंती बाई, राजस्थान में तुलसीदास, कबीरदास, उत्तराखंड में स्वामी विवेकानंद, जम्मू में धनवंतरि, कन्याकुमारी में निवेदिता, मेघालय में इंदरा गांधी आदि शामिल हैं।
अब पाइए अपने शहर ( Gwalior News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज