शास्त्रों के अनुसार यदि जन्म कुंडली में कोई ग्रह पीड़ा दे रहा है तो रूप चौदस उसे दूर करने का दिन भी है। साथ ही खराब ग्रह महादशा, अंतरदशा, चल रही हो। शनि की साढ़ेसाती शनि का ढैया हो या व्यक्ति परेशानी व चिंता से घिरा रहता है। रूप चतुर्दशी पर वैदिक उबटन से स्नान कर पीड़ित ग्रहों ही नहीं बल्कि सभी ग्रहों का शुभ प्रभाव व्यक्ति को मिलने लगता है।
ऐसे करें स्नान व पूजन
हर व्यक्ति को इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर तेल, बेसन, गुलाब जल, से उबटन करके अच्छी तरह से स्नान करना चाहिए। स्नान करके यमराज को 3 अंजलि जल अर्पित करें। शाम को शुभ मुहूर्त में 14 छोटे दीपक जलाकर चौक सजा कर रोली, खील, गुड़, धूप, अबीर, गुलाल आदि से पूजन करना चाहिए। साथ ही एक बड़ा चौमुखा दीपक घर के द्वार पर और छोटे घर के अंदर रखकर समृद्धि की कामना करना चाहिए।
नरकासुर का किया था वध
भगवान वामन ने पृथ्वी एवं राजा बलि के शरीर को 3 पगों में इसी दिन नाप लिया था। आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण की धर्मपत्नी सत्यभामा ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इस व्रत को करने से नरक की प्राप्ति नहीं होती।
गोधूलि बेला में होगा दीपदान
सोनी ने बताया कि नरक चौदस के दिन प्रदोष काल गोधूलि बेला में शाम 5.30 से 6.12 तक दीपदान किया जा सकता है।
पूर्वजों की स्मृति में जलाए जाएंगे दीप
विभिन्न समाजों द्वारा लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में दीप प्रज्वलित कर पूर्वजों को याद किया जाएगा। इसके साथ ही काली • माता मंदिर बालाजी धाम धर्मार्थ सेवा समिति भी नरक चौदस को भक्तों के पूर्वजों की स्मृति में दीप प्रज्वलित करेगी।