इस पर होमगार्ड जवान ने कहा कि सर मै इसे दिल्ली तक ले गया हूं। लेकिन वहां भी इसका इलाज नहीं हुआ है। जिला अस्पताल जाने पर क्या इलाज मिलेगा। सोमवार को यह घटनाक्रम कलेक्टर कार्यालय का है। कलेक्टर के द्वारा परेशानी न सुने जाने से दुखी होमगार्ड जवान पत्नी व दोनों बेटियों के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय में हड़ताल पर बैठ गया। पत्नी और दोनों बेटियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठने वाले होमगार्ड जवान अमर सिंह कुशवाह ने बताया कि मेरी पत्नी और बेटी की तबीयत खराब है।
इसलिए मैंने प्लाटून कमांडेट श्योपुर से मुरैना तबादला करने और छुट्टी देने के लिए कई बार निवेदन किया। लेकिन मुझे न तो छुट्टी दी गई और न ही मेरा तबादला किया, वेतन भी समय से नहीं दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में पत्नी व बेटी का इलाज नहीं करवा पा रहा हूं। जबकि बेटी आरती की तबीयत काफी गंभीर है। उसे दिल्ली तक दिखवाया लाया हूं। लेकिन उसे आराम नहीं मिल रहा है। इधर छुट्टी और तबादला न किए जाने से भी पूरा परिवार परेशान है। इलाज के लिए भी विभाग की ओर से आर्थिक मदद नहीं मिली है।
आत्मदाह करने के अलावा मेरे पास कोई चारा भी नहीं
भूख हड़ताल पर बैठे होमगार्ड जवान अमर सिंह कुशवाह ने बताया, विभागीय अफसर कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। यहां जिला प्रशासन ने भी कोई सुनवाई नहीं की। ऐसे में अब मेरे पास आत्मदाह करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। अभी मंै हड़ताल पर बैठा हूं। इसके बाद भी सुनवाई नहीं होगी तो परिवार सहित आत्मदाह ही करूंगा।
छुट्टी न देने जैसे आरोप तो सहीं नहीं है। लेकिन वह ट्रांसफर और इलाज के लिए आर्थिक मदद चाह रहा है। इसके लिए उसके आवेदन को विभागीय स्तर पर आगे भेज दिया है। ट्रांसफर और आर्थिक मदद भोपाल स्तर से ही मिलेगी।
राहुल शर्मा, पीसी होमगार्ड श्योपुर
नाराज होने जैसी कोई बात नहीं थी। बच्ची बीमार थी इसलिए उसे अस्पताल ले जाने के लिये कहा। वैसे भी कलेक्ट्रेट में उसका इलाज नहीं होता। संबंधितों को होमगार्ड जवान की समस्या के निराकरण के लिए बोला गया है।
बसन्त कुर्रे, कलेक्टर श्योपुर