डीएफओ लवित भारती के अनुसार वन अमले को लंबे समय से यह सूचना मिल रही थी कि शिवपुरी जिले में कोई लकड़ी तस्कर गिरोह काम कर रहा है, जो खैर की लकड़ी काट कर मांग के अनुसार दूसरे राज्यों में सप्लाई कर रहा है। इस सूचना पर जब टीम ने पूरे मामले को खंगालना शुरू किया तो पता चला कि शिवपुरी में गिरोह के लिए एक जड़ी बूटी व्यापारी राकेश पुत्र धनीराम राठौर उम्र 40 साल निवासी सतेरिया काम कर रहा है। वह अपने लोगों से जंगल कटवाता है और उसे गरिमा पैट्रोल पंप के सामने स्थित अपने गोदाम में एकत्रित करता है।
इस सूचना के आधार पर जब वन विभाग के अमले ने राकेश राठौर के गोदाम पर छापामार कार्रवाई की तो वहां से वन अमले को करीब एक लाख रुपए मूल्य की लकड़ी मिली। गिनती में यह मोटी लकड़ी के 414 ल_े थे। वन पुलिस ने राकेश राठौर को पकड़ कर पूछताछ शुरू की तो पता चला कि वह ब्यावरा निवासी इरफान खान पुत्र इकबाल खान उम्र 20 साल व रफीक पुत्र अकबर खान उम्र 23 साल के कहे अनुसार लकड़ी कटवाता है और उसे अपने गोदाम में स्टॉक करता है।
वन पुलिस ने जब राकेश की निशानदेही पर उक्त दोनों आरेापियों को पकड़ा तो उन्होंने बताया कि गिरोह का सरगना तो अफसर पुत्र असगर खान उम्र 36 साल निवासी सारंगपुर जिला राजगढ़ है। वन पुलिस ने जब अफसर को पकडऩे का प्रयास किया तो वह फरार हो गया, कई प्रयासों के बाद जब अफसर को पकड़ा और उससे पूछताछ शुरू की तो उसने बताया कि वह सिर्फ खैर की लकड़ी ही नहीं बल्कि चंदन, सागौन सहित अन्य लकडिय़ों की तस्करी भी डिमांड के आधार पर करते हैं।
उसने बताया कि राकेश राठौर के अलावा उनके तार शिवपुरी में वीरू गौर उर्फ वीरू फौजी पुत्र गोविंद प्रसाद गौर निवासी भटनावर हाल निवासी फिजिकल से भी हैं, वह भी उन्हें लकड़ी कटवा कर सप्लाई करता था। पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ वन अधिनियम, जैव विविधता अधिनियम, मप्र वन उपज विनिमय अधिनियम सहित वाइल्ड लाइफ अधिनियम के तहत प्रकरण कायम कर लिया है। आरोपियों पर पूर्व से वन व वाइल्ड लाइफ व आम्र्स एक्ट सहित कई मामले दर्ज हैं। आरोपी पूर्व में आपराधिक रिकॉर्ड के चलते जिलाबदर भी रहे हैं।
डिमांड अनुसार जानवरों की करते हैं तस्करी
डीएफओ भारती के अनुसार पकड़े गए आरोपी सिर्फ लकड़ी तस्करी में ही शामिल नहीं हैं, बल्कि यह आरोपी जंगली जानवरों की तस्करी भी डिमांड के अनुसार करते थे। इसी के चलते अफसर खान ने अपने दो साथी इरफान और रफीक को शिवपुरी में रखा हुआ था। शिवपुरी से खैर की लकड़ी को सप्लाई के संबंध में अफसर ने बताया कि वह इस लकड़ी को ऐसे लोगों को देता था जो इसे लेदर, कपड़े रंगने के रंग बनाने व कत्था बनाने की फैक्ट्रीयों में सप्लाई करते थे।
जड़ी बूटी व्यापारी से ऐसे बना लकड़ी तस्कर
राकेश राठौर जड़ी बूटी का काम करता था, उसके यहां कई लोग जड़ी बूटी बेचने आते थे, इसी क्रम में उसकी मुलाकात अफसर के किसी रिश्तेदार से हुई और उसने राकेश को लकड़ी तस्करी के कारोबार के मोटे फायदे गिनाए तो उसने पूरे व्यापार को समझने के बाद अपने ही आदमियों से लकड़ी कटवाना शुरू कर दिया। उसने इस लकड़ी के स्टॉक के लिए गरिमा पैट्रोल पंप के सामने एक गोदाम भी किराए पर ले लिया। वह कटी हुई लकड़ी को खुद परिवहन करवाता और गोदाम में स्टॉक करता। जब एक या दो ट्रक माल हो जाता तो उसे डिमांड वाली जगल पर सप्लाई कर दिया जाता था।