पवन ने बताया कि एक शव के लिए पांच मीटर कफन लगता है। पहले जहां पांच मीटर की जगह 15 मीटर कपड़ा काटना पड़ता था, पर इन दिनों हर रोज 75 से 100 मीटर कपड़ा काट रहे हैं। जब भी ये कपड़ा काटता हूं, अंदर से दिन रोने लगता है।
शहर के लक्ष्मीगंज, मुरार और चार शहर का नाका स्थित मुक्तिधामों में इन दिनों बड़ी मात्रा में लकडिय़ां और कंडों का अंबार लगा देखा जा सकता है। चार शहर का नाका मुक्तिधाम जीर्णोद्धार एवं संवर्धन न्यास के अध्यक्ष डॉ.हरिशचंद्र पिपरिया ने बताया कि पहले एक दिन में 3 से 5 शव यहां आते थे, पर कोरोना काल में रोजाना करीब 20 पार्थिव देह आ रही हैं। उन्होंने बताया कि एक देह में करीब डेढ़ से दो क्विंटल लकड़ी और एक हजार कंडे लग जाते हैं।