योग्य परीक्षार्थियों का हक छीनने का प्रयास किया
विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र श्रीवास्तव ने सजा सुनाते हुए कहा कि आरोपी गिर्राज शर्मा निवासी राजगढ़, मध्यप्रदेश ने योग्य परीक्षार्थियों का हक छीनने का प्रयास किया है। वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं में इस प्रकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, इस कारण मेधावी छात्रों का प्रतियोगी परीक्षाओं से विश्वास कम हो रहा है। लिहाजा ऐसे लोगों को दंडित करना जरूरी है। इस मामले में सीबीआइ की ओर से निर्मल शर्मा ने पैरवी की।
29 माह से जेल में है आरोपी
न्यायाधीश श्रीवास्तव ने आरोपी गिर्राज शर्मा को भादसं की धारा 467 के अपराध में यह सजा सुनाई है। इसके अलावा धारा 419, 420, 471, 468 में प्रत्येक अपराध के लिए तीन-तीन साल के कारावास तथा परीक्षा अधिनियम में एक साल की सजा सुनाई गई है। आरोपी पर 3200 रुपए का जुर्माना भी किया गया है। गिर्राज 29 माह से जेल में है।
मिर्जापुर से लाया गया था सॉल्वर
सीबीआइ के अधिवक्ता निर्मल शर्मा ने बताया कि व्यापमं द्वारा संविदा शाला शिक्षक वर्ग-2 की परीक्षा साइंस कॉलेज में 19 दिसंबर-12 को आयोजित की गई थी। परीक्षा में दस्तावेजों की जांच के दौरान गिर्राज शर्मा के स्थान पर परीक्षा दे रहे नाबालिग किशोर का फोटो मैच नहीं हुआ तो उसे झांसी रोड थाने में भेज दिया गया। जांच में पाया कि गिर्राज ने उसे मिर्जापुर से परीक्षा देने के लिए बुलाया था। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद यह मामला सीबीआइ को सौंपा गया था।