ये हुई प्रतियोगिताएं
दो दिवसीय अंतर विश्वविद्यालय जिला स्तरीय युवा उत्सव के प्रथम दिन शास्त्रीय गायन, सुगम गायन, अवनद्ध (ताल) वाद्य, तार वाद्य, रंगोली, कार्टूनिंग आदि प्रतियोगिताएं हुईं। इनमें निर्णायक के रूप में मधुकर गुर्जर, डॉ.अनूप मोघे, डॉ.रूपाली गोखले, मनोज मिश्रा, भरत नायक, श्रीकांत कुलकर्णी, अनीता करकरे, राजदिल शिवहरे और प्रदीप गुप्ता उपस्थित थे।
दो दिवसीय अंतर विश्वविद्यालय जिला स्तरीय युवा उत्सव के प्रथम दिन शास्त्रीय गायन, सुगम गायन, अवनद्ध (ताल) वाद्य, तार वाद्य, रंगोली, कार्टूनिंग आदि प्रतियोगिताएं हुईं। इनमें निर्णायक के रूप में मधुकर गुर्जर, डॉ.अनूप मोघे, डॉ.रूपाली गोखले, मनोज मिश्रा, भरत नायक, श्रीकांत कुलकर्णी, अनीता करकरे, राजदिल शिवहरे और प्रदीप गुप्ता उपस्थित थे।
युवा उत्सव में 23 फरवरी को
युवा उत्सव में 23 फरवरी गुरुवार को समूह गायन भारतीय, पाश्चात्य गायन, कथक नृत्य, समूह नृत्य, नाटक, एकांकी प्रतियोगिताएं संपन्न होंगी। इसके साथ ही समापन समारोह कार्यक्रम में पुरस्कार वितरण किया जाएगा।
युवा उत्सव में 23 फरवरी गुरुवार को समूह गायन भारतीय, पाश्चात्य गायन, कथक नृत्य, समूह नृत्य, नाटक, एकांकी प्रतियोगिताएं संपन्न होंगी। इसके साथ ही समापन समारोह कार्यक्रम में पुरस्कार वितरण किया जाएगा।
सब निरपत निरास भये की...
इधर शंकर गंधर्व महाविद्यालय कंपू में चल रही दो दिवसीय संगीत कार्यशाला मंगलवार को संपन्न हो गई। इस मौके पर कार्यशाला में ग्वालियर घराने की प्रख्यात गायिका डॉ.मीता पंडित मौजूद थीं। उन्होंने विद्यार्थियों को ग्वालियर गायिकी के सूक्ष्मता जैसे स्वर लगाव, अष्ठांग गायिकी के पहलू, अष्पदी, राग की बढ़त, तानों का अभ्यास आदि की जानकारी दी। इसके बाद मीता पंडित ने ग्वालियर घराने की अति सुन्दर शैली अष्टपदी जो कि यहां की विशेषता है, को भी छात्रों को सिखाया। इसके अतिरिक्त उन्होंने विलंबित ख्याल ग्वालियर गायिकी का अष्टांग रूप जब ही सब निरपत निरास भये की... छात्रों को गाकर सिखाया। तबले पर मनोज मिश्रा एवं हारमोनियम पर विवेक जैन ने संगत की। इस मौके पर प्राचार्य सीमा सक्सेना, महंत रामसेवकदास महाराज भी मौजूद थे।
इधर शंकर गंधर्व महाविद्यालय कंपू में चल रही दो दिवसीय संगीत कार्यशाला मंगलवार को संपन्न हो गई। इस मौके पर कार्यशाला में ग्वालियर घराने की प्रख्यात गायिका डॉ.मीता पंडित मौजूद थीं। उन्होंने विद्यार्थियों को ग्वालियर गायिकी के सूक्ष्मता जैसे स्वर लगाव, अष्ठांग गायिकी के पहलू, अष्पदी, राग की बढ़त, तानों का अभ्यास आदि की जानकारी दी। इसके बाद मीता पंडित ने ग्वालियर घराने की अति सुन्दर शैली अष्टपदी जो कि यहां की विशेषता है, को भी छात्रों को सिखाया। इसके अतिरिक्त उन्होंने विलंबित ख्याल ग्वालियर गायिकी का अष्टांग रूप जब ही सब निरपत निरास भये की... छात्रों को गाकर सिखाया। तबले पर मनोज मिश्रा एवं हारमोनियम पर विवेक जैन ने संगत की। इस मौके पर प्राचार्य सीमा सक्सेना, महंत रामसेवकदास महाराज भी मौजूद थे।