शहर में दवा का इतना बड़ा कारोबार होने के बावजूद भी कई दुकानदार बगैर और कच्चे बिल के इस काम को करते हैं। कच्चे बिल पर माल की बिक्री करने वाले दवा कारोबारियों को गड्ढा कारोबारी कहकर संबोधित किया जाता है। इसके साथ ही कुछ दुकानदार बिना बिल के भी काम करते हैं, ऐसे में ये कह पाना भी मुश्किल होगा कि ये माल असली है या नकली। वहीं कच्चा बिल और बगैर बिल के साथ काम करने पर 18 फीसदी तक की जीएसटी टैक्स की चोरी भी संभव है। यदि औषधि विभाग की ओर से आकस्मिक जांच-पड़ताल की जाए तो शायद इस तरह की गड़बड़ी को पकड़ा जा सकता है।
– शहर में थोक और फुटकर दवा कारोबारियों की संख्या एक हजार से अधिक।
– थोक दवा के 10 बड़े मार्केट।
– महीने भर में दवा का 20 से 25 करोड़ का कारोबार।
ऐसा नहीं है कि हम लोग कार्रवाई नहीं करते हैं, ग्वालियर संभाग में इस तरह की जांच-पड़ताल की कार्रवाई की जाती रही है। इंदौर की कार्रवाई को लेकर हम भी आगे बढ़ रहे हैं। यदि इसमें कुछ इनपुट मिलता है तो यहां भी पूरी तरह से जांच पड़ताल करते हुए कार्रवाई की जाएगी।
– किरन कुमार मगरे, ड्रग इंस्पेक्टर