सबूत लाओ तब मिलेगी बेटी
मंगलवार को बच्ची के माता पिता उसे वापस लेने के लिए बाल कल्याण समिति के सामने पेश हुए। अनिकेत कंजर भी उनके साथ आया था। समिति के अध्यक्ष डॉ. केके दीक्षित ने बताया रिंकी और उसका पति बेटी वापस मांग रहे थे। उनसे कहा गया है कि बरामद हुई बच्ची उनकी बेटी है इसका सबूत लाओ। दोनों बच्ची को गोद देने का सबूत भी नहीं पेश कर सके। सबूत जुटाने के लिए दंपती ने कुछ वक्त मांगा है।
जैसा कि मासूम बच्ची की मां रिंकी (परिवर्तित नाम) ने पत्रिका को बताया
परिवार गरीब है और तीन बेटियों को पालना बूते के बाहर था। परिवार की माली हालत की जानकारी वैदोरा, झांसी निवासी अनिकेत कबूतर (कंजर) को थी। वह मेरी मां का पड़ोसी है। उसने लालच दिया कि उसकी सास मैना निवासी मऊरानीपुर बच्ची को गोद लेना चाहती है। तीन महीने पहले बेटी को अनिकेत के हवाले किया था। इसके बाद उससे कहा कि एक बार बेटी की सूरत देखना है तो उसने टाल दिया। कुछ दिन पहले वीडियो कॉल पर बेटी का चेहरा दिखा दिया। इसी के साथ ही भरोसा दिलाया कि 6 अप्रैल को परिवार में शादी है वहां बेटी भी आएगी वहां मुलाकात करवा देगा लेकिन वह भी झूठ निकला। उसे टोका तो बोला तेरी बेटी को बेच दिया है वह मुंबई में है। अब बच्ची बदनापुरा बस्ती में मिली है। यहां जिस्म फरोशी के लिए मासूम बच्चियों की खरीद फरोख्त होती है। पड़ोसी ने हमें धोखा दिया है।
बच्चियों की खरीद फरोख्त का हो सकता खुलासा
देह कारोबार के लिए मासूम बच्चियों की खरीद फरोख्त करने वाले आकाश कालकोर के पकड़े जाने से बड़े रैकेट का खुलासा हो सकता है। करीब तीन साल पहले मानसिंह चौराहे के पास फुटपाथ पर रहने वाले दिव्यांग मजदूर की डेढ़ साल की बेटी को चोरी कर बदनापुरा में देह कारोबारियों को बेचने में उसकी तलाश थी। बच्ची को गैंग मेंबर लक्ष्मी कुशवाह ने चुराया था। उसे दलाल राममिलन कंजर के जरिए बदनापुरा में रामबली कंजर को बेचा था। रैकेट के पकड़े जाने पर रामबली बदनापुरा से फरार हो गया था। उसके बारे में पता चला था कि इलाहबाद में घंटाघर के पास उसका सुरक्षित ठिकाना है। वहां भी जिस्म फरोशी के लिए मासूम बच्चियों और युवतियों की खरीद फरोख्त कर उन्हें मुंबई और नागपुर के रेडलाइट एरिया में खपाता है। आरोपी आकाश कालकोर से पुलिस मानसिंह चौराहे से चुराइ गई बच्ची और रैकेट से जुड़े बाकी लोगों के बारे में पूछताछ कर रही है।