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Independence Day 2019 : देश की आजादी में ग्वालियर का था बड़ा योगदान, काकोरी कांड में फोड़े गए बम बने थे यहां

locationग्वालियरPublished: Aug 14, 2019 12:15:41 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

special stories from gwalior related to independence of india: बाल्टियों में लाया जाता था और मिठाई के डब्बों में रखकर अन्य स्थानों पर बम भेजे जाते थे

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Independence Day 2019 : देश की आजादी में ग्वालियर का था बड़ा योगदान, काकोरी कांड में फोड़े गए बम बने थे यहां

ग्वालियर। देश की आजादी की जब-जब बात चलती है तो ग्वालियर का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की लड़ाई की शुरूआत जब हुई थी तब भी ग्वालियर का नाम मुख्यता से लिया जाता है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज हम आपको ग्वालियर से जुड़ी हुई कुछ ऐसी बातें बताने जा रहें हैं जो शायद ही आप जानते हो।

आजादी में ग्वालियर पुरानी यादें…

काकोरी ट्रेन डकैती के लिए ग्वालियर से गए थे बम
ग्वालियर क्रांतिकारियों की गतिविधियों का महत्वपूर्ण केन्द्र था। देश भर से क्रांतिकारियों का यहां आना और जाना होता था। यहां बनने वाले हथियार और बम विभिन्न क्षेत्रों में भेजे जाते थे। प्रसिद्ध काकोरी टे्रन डकैती में प्रयुक्त होने के लिए बम ग्वालियर से गए थे। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, भगवानदास माहौर, भाई परमानंद, अरुण आसफ अली, गेंदालाल दीक्षित, जयप्रकाश नारायण, मोहनलाल गौतम का ग्वालियर आना-जाना था। नेहरू जी भी यहां आए थे। चंद्रशेखर आजाद कई बार जनवरी से जुलाई 1925 तक गोपनीय रूप से भेष बदलकर यहां रूके थे। जनकगंज में कदम साहब के बाड़े में वे रहा करते थे। भगतसिंह भी कुछ समय के लिए यहां ठहरे थे।

आजादी में ग्वालियर पुरानी यादें…तब बना था ग्वालियर-गोआ कॉन्सप्रेसी ग्रुप
बंगाल में क्रांतिकारियों के संगठन अनुशीलन समिति की ओर से दास गुप्ता बाबू को ग्वालियर भेजा गया। उन्होंने यहां मिल में काम किया और क्रांतिकारी दल का गठन किया, जो बाद में ग्वालियर-गोआ कॉन्सप्रेसी गु्रप के नाम से जाना गया। जनकगंज में ही दादाजी अग्रवाल के मकान में गुप्त रूप से बम बनाए जाते थे। बम बनाने का सामान मिठाई के डिब्बों और दूध की बाल्टियों में लाया जाता था और मिठाई के डब्बों में रखकर अन्य स्थानों पर बम भेजे जाते थे। काकोरी ट्रेन डकैती के लिए ग्वालियर से खरीदे गए हथियार शाहजहांपुर तक महान क्रांतिकारी पं.रामप्रसाद बिस्मिल अपनी बहन शास्त्री देवी के कपड़ों में छिपाकर शाहजहांपुर तक लाए थे। हथियार खरीदने के लिए धन बिस्मिल ने अपनी मां मूलवती देवी से उधार लिया था।

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आजादी में ग्वालियर पुरानी यादें…ग्वालियर संभाग में दिखा था अगस्त क्रांति का असर

इस वर्ष हम 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। यह अवसर है उन महान स्वतंत्रता सैनानियों और क्रांतिकारियों को याद करने का जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर करके देशवासियों को अंग्रेजों की घुटनभरी गुलामी से निकाल कर आजाद फिज़ा का अहसास कराया। इस पावन अवसर में हम अपने पाठकों के लिए ग्वालियर में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए किए गए संघर्ष की गाथा लेकर आए हैं। देश की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष में ग्वालियर का अहम योगदान है और इसका इतिहास विस्तृत है। अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए महात्मा गांधी के आव्हान पर ग्वालियर में भी स्वतंत्रता सेनानियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी की। इसमें सैकड़ों लोग गिरफ्तार हुए थे। 10 अगस्त 1942 को सार्वजनिक सभा और विद्यार्थी संघ ने हड़ताल की घोषणा कर दी थी। विक्टोरिया कॉलेज (एमएलबी कॉलेज) में हजारों छात्र इक_े हुए और जुलूस के रूप में नारे लगाते हुए महाराज बाड़े पर पहुंचे। इसमें तीन हजार से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए। जुलूस के बाद भडक़े आंदोलन में 17 नेता गिरफ्तार हुए। गिरफ्तारियोंं के बाद 22-23 अगस्त को भेलसा सार्वजनिक सभा कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें आंदोलन और तेज करनेे का फैसला लिया गया। अगस्त क्रांति का असर अंचल के मुरैना, भिंड, श्योपुर और शिवपुरी में भी देखा गया। यहां कई लोगों को जेल में डाल दिया गया।

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आजादी में ग्वालियर पुरानी यादें…1906 में ग्वालियर में चला था राजद्रोह का मुकदमा

बीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्र्ध में स्वदेशी आंदोलन जोर पकड़ रहा था। सभी जगह विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जा रहा था। ग्वालियर में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी से आंदोलन इतना तीव्र हो गया कि सरकार घबरा गई। आंदोलन को कुचलने के लिए देश भक्त नेताओं की तस्वीरें रखना अपराध हो गया। लश्कर तथा मुरार में चित्र रखने और बेचने पर सजाएं दी गईं। 1906 में यहां राजद्रोह का मुकदमा चला जो ग्वालियर सिडीशन केस के नाम से जाना गया। हर कीमत पर आजादी हासिल करने के लिए तत्पर युवा 1921 के असहयोग आंदोलन की विफलता से चिंतित थे। उनका ध्यान सशस्त्र क्रांति की ओर गया। ग्वालियर में भी क्रांतिकारी दल का गठन किया गया, जिसे हथियारों की आवश्यकता थी, लेकिन ग्वालियर से खरीदे गए हथियार धोखा देने लगे तब क्रांतिकारी गोआ से हथियार खरीद कर लाते थे, जिन्हें यहां सप्लाई किया जाता था।

 

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