कंपू बड़ा सेंटर
सट्टा कारोबार के लिए कंपू का गड्ढा वाला मोहल्ला पुराना और बड़ा सेंटर है। करीब 300 मीटर के दायरे में माइकल, समीर और गुल्लो बाथम तीन कुख्यात सट्टा कारोबारियों के अड्डे संचालित हैं। इन ठिकानों पर सट्टे की बुकिंग चलती है जानकारी पुलिस से छिपी नहीं है, लेकिन इनके ठिकानों पर कार्रवाई के लिए पुलिस तब ही दम भरती है जब ऊपर से प्रेशर आता है। पुलिसकर्मी कहते हैं कि सट्टा कारोबारियों की जड़ें राजनीति से लेकर तमाम रसूखदारों से भी जुड़ी हैं। उनकी दम पर भी इनके कारोबार संचालित होते हैं। यही वजह है कि सट्टे के ये कारोबारी पुलिस पर भी हावी होने से नहीं चूकते।
इन बस्तियों में रहने वाले बताते हैं कि सट्टे के ठिकाने किसी से छिपे नहीं है। करीब 15-20 साल से सटोरिए इन ठिकानों पर सुबह से शाम तक पर्चियां लेते हैं। शुरू में लोगों ने पुलिस और प्रशासन से शिकायतें भी कीं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई बल्कि कई बार तो शिकायत करने वालों के नाम ही उजागर हो गए तो अपराधियों से दुश्मनी लेने की बजाए लोगों ने चुप रहना ही बेहतर समझा।
सट्टा कारोबार के लिए जनकगंज दूसरा बड़ा ठिकाना है, यहां रटटू, रामू, श्यामू, पवन पाराशर सहित कई सट्टा कारोबारी पुलिस रेकॉर्ड में दर्ज हैं। यहां पुलिस का दावा है कि सट्टा कारोबार पूरी तरह बंद है, लेकिन सट्टा कारोबारियों के आसपास रहने वालों की दलील दूसरी है। उनके मुताबिक इन ठिकानों पर पहले उजागर सट्टा लगता था। लेकिन अब सख्ती है तो कारोबार चोरी छिपे चल रहा है। कुछ समय पहले तक सट्टा कारोबारियों के एजेंट खुलेआम पर्ची काटते थे। अब वाट्सएप, फेसबुक मैसेंजर पर नंबर की बुकिंग कर रहे हैं।
उपनगर ग्वालियर और हजीरा इलाके में काली, लल्ला सहित कई पुराने बदमाशों के नाम पुलिस रेकॉर्ड में सट्टा कारोबार को संचालित करने दर्ज हैं। इनके ठिकानों पर सट्टे का धंधा खुलेआम चलता रहा है। पुलिस का कहना है कि सट्टा बंद कराने के लिए सटोरियों के ठिकाने पर कई बार दबिश दी गई। उसके हिसाब से धंधा बंद है, लेकिन यहां ऑनलाइन बुकिंग ली जा रही हैं।
इस धंधे की जानकारी रखने वालों के मुताबिक शहर में हर दिन करोड़ों रुपए सट्टे के जरिए दांव पर लगते हैं। दिल्ली और मुंबई से कारोबार संचालित हो रहा है। अब पुलिस से बचने के लिए कारोबार का तरीका ऑनलाइन भी किया गया है। इसलिए पहले की तुलना में इस कारोबार में ज्यादा लोग शामिल हैं, लेकिन पूरा कारोबार सुरक्षित ठिकाने से आपॅरेट कर रहे हैं। इसलिए पुलिस की नजर से बाहर हैं।
पुलिस अधिकारी बताते हैं सट्टा कारोबार में अब कारोबारी और ग्राहक दोनों सफेद पोश हो गए हैं। पुराने ढर्रे के सट्टे के कुख्यात ठिकाने तो जगजाहिर हैं, लेकिन इसके अलावा ऑनलाइन सट्टा कारोबार की जड़े ज्यादा गहरी और बड़ी तादात में फैली हैं। इसमें दांव लगवाने वाले और पैसा लगाने वाले दोनों सामने नहीं आते। ठोस इनपुट पर ही कारोबार पकड़ में आता है। इसमें सट्टा लगवाने वालों को मोटा कमीशन मिलता है इसलिए कारोबार पॉश कॉलोनियों से ज्यादा ऑपरेट हो रहा है। हालांकि आमतौर पर सट्टों के अड्डों पर कार्रवाई से ज्यादा ऑनलाइन सट्टे की पकड़ धकड़ की जाती है।
आला अफसरों के निर्देश हैं कि सट्टा कारोबार खत्म होना चाहिए। इसलिए सट्टा कारोबार करने वालों पर लगातार दबिश और कार्रवाई की जा रही है। पुलिस के लगातार दवाब की वजह से कई सटोरिए कारोबार बंद कर अंडरग्राउंड हैं। बाकी को पकड़ा जा रहा है। कुछ सट्टा कारोबारियों ने पुलिस के दबाव पर हावी होने की कोशिश भी की हैं। उन पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। इस कारोबार और उससे जुड़े लोगों को बस्र्ट करने के लिए पुलिस पूरे प्रयास कर रही है।
सत्येन्द्र तोमर, एएसपी क्राइम