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आज से शुरू होगी श्रीरामलीला, सीता स्वंयवर में शिवधनुष से जुड़े इस महा रहस्य से उठेगा पर्दा

locationग्वालियरPublished: Sep 16, 2017 03:03:54 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

छत्री मैदान में होने वाली रामलीला 16 सितंबर से प्रारंभ होने जा रही है। 1 अक्टूबर तक होने वाली रामलीला का समय रात 8 से 11 बजे तक का रखा गया है।

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ग्वालियर। गणेश स्थापना और मुकुट पूजा के साथ छत्री मैदान में होने वाली रामलीला 16 सितंबर से प्रारंभ होने जा रही है। 1 अक्टूबर तक होने वाली रामलीला का समय रात 8 से 11 बजे तक का रखा गया है। 70वें वर्ष में प्रवेश करने जा रही रामलीला का उद्घाटन शनिवार को रात 8 बजे संभागीय आयुक्त एसएन रूपला और पुलिस महानिरीक्षक अनिल कुमार के मुख्य आतिथ्य में होगा।
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यह जानकारी श्री रामलीला समारोह समिति के अध्यक्ष विष्णु गर्ग, सचिव विमल गर्ग और संयोजक रमेश अग्रवाल ने शुक्रवार को पत्रकारों को देते हुए बताया कि प्रथम दिन नारद मोह की कथा का मंचन होगा। वहीं 30 अक्टूबर को निकलने वाले चल समारोह के लिए आगरा से झांकियां आएंगी।
रामलीला में इस बार जानेंगे राजा जनक को धनुष कहां से मिला
छत्री मैदान में इस साल श्री हरीबाबा रामकृष्ण लीला मंडल वृंदावन रामलीला का मंचन करेंगे। मंडल के निर्देशक स्वामी रसिक बिहारी शर्मा ने बताया कि यह मंडल 30 वर्ष पुराना है। अभी तक मुरादाबाद, गाजियाबाद, दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ आदि स्थानों पर रामलीला कर चुके हैं।
कुछ पूर्व भी ये मंडल छत्री मैदान में रामलीला किया करता था। इस बार 40 कलाकार रामलीला का मंचन करेंगे। उन्होंने आगे बताया कि इस वर्ष कुछ नए प्रसंग जैसे राजा जनक को धनुष कहां से मिला और सुग्रीव किषकिंधा पर्वत पर क्यों रहते थे आदि को भी शामिल किया जाएगा।
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शहर के रंगकर्मी भी करते थे रामलीला
तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्व.माधवराव सिंधिया के प्रयासों से 1985 में रामलीला ने वृहद रूप धारण कर लिया। इस साल रामलीला का बजट 25 हजार से बढ़ाकर दो लाख रुपए किया गया। हर वर्ष नवीन आकर्षण जुडऩे लगे। क्रमश: 1985 में बेले सेंटर, दिल्ली ने तुलसी के राम और कृष्णलीला का मंचन, 1986 में राम दरबार बंधुओं की दो दिवसीय प्रस्तुति, 1986 से 89 तक शहर के प्रसिद्ध रंगकर्मियों की ओर से करीब 100 से अधिक युवा कलाकारों को लेकर रामलीला का मंचन किया गया। 1987 में कला संस्था ने सात दिवसीय नृत्य नाटिका के रूप में रामलीला का मंचन किया।
ये रहेंगे आकर्षण
20 सितंबर को धनुष यज्ञ, लक्ष्मण-परशुराम संवाद
22 सितंबर को वीर सावरकर सरोवर पर केवट संवाद का मंचन
26 सितंबर को लंका दहन
28 सितंबर को लक्ष्मण शक्ति एवं हनुमान जी द्वारा 200 फीट ऊंचाई से उड़ान भरकर संजीवनी बूटी लाना
30 सितंबर को रावण वध, तरणी सेना वध, राम-रावण युद्ध चल समारोह, रात 10 बजे रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन
01 अक्टूबर को आतिशबाजी एवं राम राज्याभिषेक
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