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री-यूनियन में शामिल फ्रेंड्स ने कहा… दुनिया में कहीं भी रहें, हमारे दिल में बसता है ग्वालियर

locationग्वालियरPublished: May 14, 2019 07:20:33 pm

Submitted by:

Harish kushwah

ग्वालियर छोड़े हुए भले ही हमें 16 साल हो गए हों, लेकिन यह आज भी हमारे दिलों में बसता है। क्योंकि हमारा बचपन यहीं से जुड़ा हुआ है। रोना, रूठना, हंसना, मनाना, जीवन के सुख, दुख से गहरा नाता यहीं से रहा है। यहीं हमने पढ़ाई की और सफलता की सीढ़ी पाई। लंबे समय बाद ग्वालियर आकर बहुत अच्छा लगा।

Friends group

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ग्वालियर. ग्वालियर छोड़े हुए भले ही हमें 16 साल हो गए हों, लेकिन यह आज भी हमारे दिलों में बसता है। क्योंकि हमारा बचपन यहीं से जुड़ा हुआ है। रोना, रूठना, हंसना, मनाना, जीवन के सुख, दुख से गहरा नाता यहीं से रहा है। यहीं हमने पढ़ाई की और सफलता की सीढ़ी पाई। लंबे समय बाद ग्वालियर आकर बहुत अच्छा लगा। पुरानी यादें एक बार फिर ताजा हो गईं। यह कहना था देशभर में सेवाएं दे रहे फ्रेंड्स ग्रुप का, जो सोमवार को एक बार फिर इकट्ठा हुए और पुरानी यादें शेयर कीं।
माइक थाम सुनाए तराने

सोमवार की रात निजी होटल में आयोजित इंट्रोडक्शन पार्टी में सभी ने अपने-अपने बारे में बताया। साथ ही ग्वालियर में रहकर अपनी शरारतें भी शेयर की। स्टेज पर माइक थाम किसी ने किस्से सुनाए, तो किसी ने गाने गाए। शाम 7 बजे शुरू हुआ यह माहौल देर रात तक चलता रहा, जिसे सभी ने एंजॉय किया। इसके बाद सभी ने हार्ट बीट म्यूजिक पर डांस भी किया।
सेल्फी लेकर संजोई यादें

पार्टी के बाद बारी थी एक-दूसरे से जुदा होने की। सभी ने गले मिलकर फिर मिलने का वादा किया। एक दूसरे को सभी ने नंबर शेयर किए और साथ में सेल्फी ली। खुशी का यह माहौल बिछड़ते समय गमगीन हो गया। हर एक के आंखें नम नजर आईं।
ट्यूशन बंक कर जाते थे कटोराताल

मेरा परिवार सराफा बाजार में रहता था। मैं नया बाजार ट्यूशन पढ़ने जाती थी। जब कभी हम लोगों का मन होता। हम लोग ट्यूशन बंक मार दिया करते थे। उस समय ट्यूशन में काफी संख्या में स्टूडेंट्स पहुंचते थे। इसलिए उन्हें भी याद नहीं रहता था। ट्यूशन बंक करना आज तक पैरेंट्स और सर की नजर में राज बना हुआ है। ट्यूशन बंक करना हमने कई बार किया।
पायल मेहता, फरीदाबाद

कभी भी काम को कल पर नहीं छोड़ा

जबलपुर में रहकर मैं एक मॉल रन कर रही हूं। मैं जब ग्वालियर स्थित स्कूल में पढ़ रही थी, तब एक बार टीचर ने मुझसे कहा कि जो भी करना है आज ही करो, कल पर कभी मत छोड़ो। यही मेरी सफलता का कारण बनी। इसी सीख को मैंने अपनाया और अपने जीवन में मैंने कई बदलाव देखे। ग्वालियर से जुड़ी मेरी कई यादें हैं, जिन्हें मैं भुला नहीं सकती।
रिचा जैन, जबलपुर

हमारी शर्ट की जेब गायब रहती थी

हमारी क्लास के किसी भी स्टूडेंट की शर्ट में जेब नहीं थी। इसका कारण यह था कि हम सभी एक दूसरे की शर्ट फाड़ देते थे। टीचर्स हमारी हरकत जानते थे और पैरेंट्स जब पूछते तो बोल देते। थोड़ी सी फट गई इसलिए फाड़कर अलग कर दिया। मम्मी फिर से जेब लगवाती और हम फिर से फाड़ देते। एक बार शिकायत हुई। तब से यह आदत छूट गई।
अनिल मदान, दिल्ली

…तब टिफिन खाने पर लगी क्लास

बात क्लास 11वीं की है। स्कूल में हमारी टीचर क्लास रूम में अपना टिफिन रख जाती थी और हम अंशुमन भागवत, जगदीश कुकरेजा साथ में जाते और उनका टिफिन लेकर खा जाते, और खाली टिफिन रख देते। ऐसा हमने कई बार किया। एक दिन टीचर ने हमें पकड़ लिया और जमकर क्लास लगाई। उसके बाद से हमने यह हरकत बंद कर दी। यह इंसीडेंट आज भी हमारी चेहरे की हंसी को बढ़ा देता है।
तरुण अरोरा, इंदौर

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